छोटी बेटी एक साल पहले ही गुजर चुकी है। बड़ी बेटी कविता तिवारी ने बेटी का फर्ज निभाते हुए सभी रस्म को पूरा कर अपने पिता को मुखाग्नि दी। आमतौर पर पुुरुष प्रधान समाज में बेटा ही अर्थी को कांधा देता है। लेकिन, इस परंपरा को तोड़ते हुए कविता ने ही पिता के अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए। मरने से पहले पिता ने इच्छा जताई थी कि बेटी ही उनका अंतिम संस्कार करे।
बेटी ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए सभी रीति-रिवाज के साथ पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी कविता ने न केवल पिता का सपना पूरा किया, बल्कि समाज के लिए नया उदाहरण भी पेश किया। पंडित परमानंद तिवारी को कोई बेटा नहीं था।
उसका आकस्मिक निधन बुधवार को हुआ। पिता की इच्छा अनुसार बुधवार को कविता तिवारी ने लवन स्थित जोगी सरोवर में पिता की चिता को मुखग्नि दी। जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। समाज के लोग भी इसकी सराहना कर रहे है।