जिले में एलोवेरा, पॉम-ट्री और खम्हार जैसे पौधों की प्रजातियां जिन्हें अब फसलों के लिए चुना गया है। आदेश मिलते ही उद्यानिकी विभाग की नर्सरियों में एलोवेरा और खम्हार के पौधों का वितरण शुरू कर दिया गया है। तो पॉम ट्री के पौधों के लिए रुचि इंडस्ट्रीज़ से संपर्क साधकर पौधों के लिए ऑर्डर दिए गया है। बता दें कि देश की इस उद्योग समूह को पॉम ऑयल उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी उद्योग माना जाता है। जि़ले की भूमि का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसमें नमी भूमि का रकबा अधिक है। इसलिए योजना में ऐसी ही भूमि ली जा रही है।
योजना के मुताबिक़ 2200 एकड़ में पॉम ट्री और 2200 एकड़ में खम्हार के पौधरोपण होंगे। जबकि एलोवेरा को अंतर्वर्ती फसल के रूप में लिया जा रहा है। इसे पॉम ट्री के समानांतर में लगाया जाएगा। इसमें खम्हार के पौधों का वितरण एक किसान को 500 पौधें देने का लक्ष्य है। बंजर या ऊंची सतह वाली जमीन पर ये पौधे लगाए जाएंगे। उसमें सबसे जल्दी तैयार होने वाला पौधा लोवेरा का होगा। यह सिर्फ 18 से 24 महीने में तैयार हो जाता है। खजूर परिवार का पॉम ट्री भी 5 से 8 साल के भीतर तैयार होगा। खम्हार भले ही 8 से 13 साल में तैयार होगा, लेकिन यह दीर्ध अवधि तक लाभ देने वाला पेड़ बनेगा। यानि बंजर भूमि भी जिले के किसानों के लिए वरदान साबित होगा।