scriptस्थानीय बोली का प्रयोग कर बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ा रहीं शिक्षिका रश्मि, बच्चों में भी उत्साह | Mohalla class: Teacher Rashmi teaching children in using local dialect | Patrika News
बलरामपुर

स्थानीय बोली का प्रयोग कर बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ा रहीं शिक्षिका रश्मि, बच्चों में भी उत्साह

Mohalla class: कोरोना काल में शिक्षकों (Teachers) ने पढ़ाने के नए-नए तरीके किए हैं इजाद, नन्हें बच्चों (Childrens) को कराया जा रहा शब्द ज्ञान का परिचय

बलरामपुरNov 21, 2020 / 11:54 pm

rampravesh vishwakarma

स्थानीय बोली का प्रयोग कर बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ा रहीं शिक्षिका रश्मि, बच्चों में भी उत्साह

Teacher teaching in local language

बलरामपुर. कोरोना काल (Corona period) में राज्य शासन ने शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने से शिक्षा अवरूद्ध न हो इसके लिए पढ़ई तुहंर दुआर जैसी ऑनलाइन तथा मोहल्ला क्लास जैसी ऑफलाइन वैकल्पिक व्यवस्था प्रारंभ की है।
बलरामपुर-रामानुजगंज में भी ऑनलाइन (Online class) तथा ऑफलाइन माध्यमों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। शिक्षकों ने नए-नए तरीके इजाद कर पढ़ाई को रूचिकर बनाया है।

प्राथमिक शाला धनवार में पदस्थ सहायक शिक्षक रश्मि पाण्डेय के प्रयास ने बच्चों की पढ़ाई को रूचिकर बना दिया है, रश्मि स्थानीय भाषा और प्रतीकों का प्रयोग कर बच्चों को आसानी से पशु-पक्षियों तथा वस्तुओं के नाम से परिचय करातीं हैं। बच्चों को भी सरलता के साथ इन प्रतीकों के माध्यम से मात्रा तथा वस्तुओं का ज्ञान हो जाता है।
स्थानीय भाषा (Local language)और प्रतीकों के संयुक्त प्रयोग से पढ़ाई को मनोरंजक रूप देने वाली रश्मि पाण्डेय ने बताया कि आसपास के प्रतीकों, चिन्हों तथा स्थानीय भाषा के प्रयोग से बच्चों को वस्तुओं, मात्राओं तथा शब्द ज्ञान से परिचय कराना ज्यादा सहज है।
जैसे चूहे को स्थानीय पण्डो भाषा में खुसरा, बिल्ली को बिलाई, कुत्ता को कुकुरा कहा जाता है इसके अंग्रेजी तथा हिन्दी शब्दों की जानकारी बच्चों को दी जाती है।

साथ ही कुत्ते की पूंछ को उ की मात्रा एवं चूहे की पूंछ को ऊ की मात्रा के सदृश बताते हुए इसके प्रयोग की जानकारी दी। रश्मि पाण्डेय आसपास के परिवेश से पढ़ाने में ऐसे प्रतीकों एवं चिन्हों का चयन करती है ताकि बच्चों का भावनात्मक जुड़ाव होने से वे आसानी से इसे समझ पायें।
रश्मि पाण्डेय ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल (Schools) बंद थे तभी उनके मन में ये यह विचार आया कि बच्चों को आसानी से कैसे पढ़ाया जाए जिससे उनकी रूचि भी बनी रहे और उनका बौद्धिक विकास भी हो।
बच्चे अपने आसपास के परिवेश से ही सबसे ज्यादा सीखते और समझते हैं। इसीलिए मैंने इन तरीकों को अपनाकर बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया है। ऐसे तरीकों से बच्चें भी मनोरंजक ढंग से बुनियादी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

इन शिक्षकों ने भी अपनाए कई तरीके
कुछ ऐसा ही प्रयास पूर्व माध्यमिक शाला ढोढी में पदस्थ शिक्षक संजीव सिंह पटेल ने भी किया है जो बच्चों को रैपर(विभिन्न सामग्रियों के खाली पैकेट) के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी तथा गणित की शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। संजीव खाली पैकेट इक_ा करते है तथा उसी से बच्चों को मोहल्ला क्लास में पढ़ाते हैं।
संजीव बताते है कि खाली पैकेटों में अंग्रेजी तथा हिन्दी में नाम के साथ ही अन्य जानकारियां लिखी होती है, जिससे बच्चों को शब्दों का ज्ञान हो जाता है। पैकेटों पर अंकित मूल्यों तथा अन्य संख्याओं के माध्यम से विभिन्न गणितीय अवधारणाओं का ज्ञान कराते हैं।
ठीक इसी प्रकार अंजू धु्रव जो शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरतीकला में शिक्षक हैं जिन्होंने बच्चों को ऑनलाईन पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर सराहनीय पहल की है।

हिन्दी की व्याख्याता अंजू बच्चों को गद्य, पद्य सहित हिन्दी के विभिन्न विधाओं से परिचय करा रहे हैं। बच्चे भी इनसे ऑनलाइन जुड़ कर पढऩे में बड़ा ही सहज बोध करते हैं।

Home / Balrampur / स्थानीय बोली का प्रयोग कर बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ा रहीं शिक्षिका रश्मि, बच्चों में भी उत्साह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो