पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नेपाल राष्ट्र के दांग चौघडा के राजा रतननाथ गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य थे। गुरु गोरक्षनाथ से योग्य की दीक्षा लेकर उन्होंने संन्यास धारण किया और पृथ्वी पर कई देशों का भ्रमण कर लोगों को योग का पाठ पढ़ाया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाबा रतन नाथ ने इसी शक्तिपीठ पर सिद्धियां प्राप्त की थी और अपनी योग शक्ति से प्रतिदिन शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर आते थे और मां पाटेश्वरी की पूजा करते थे। बाबा रतननाथ के शरीर त्यागने के बाद 800 वर्षों से पात्र देवता के रूप में बाबा रतननाथ की शोभायात्रा प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को देवीपाटन पहुंचती थी।
इस शोभायात्रा की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता था और पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया जाता था। लेकिन कोविड 19 के कारण पूरे देश में लाकडाउन है। भारत ने अपनी सीमा सील कर दी है। नेपाल राष्ट्र ने भी अपने तरफ से सीमा को सील कर दिया है। दोनों तरफ से आवागमन बंद है ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए हजारों वर्ष पुरानी इस ऐतिहासिक और पौराणिक शोभा यात्रा को स्थगित कर दिया गया है।