हर साल बाढ़ की विभीषिका में अपना सबकुछ गवां देने वाले बाढ़ पीड़ितों को राजस्व विभाग चूना लगा रहा है। सरकार बाढ़ राहत के नाम पर कृषि निवेश के पैसे ग्रामीणों के खाते में भेंजती है।
मामला शान्तिनगर और रामगढ़ मैटहवा गांव का है। वर्ष 2017 में आयी भीषण बाढ़ ने यहां जमकर तबाही मचाई। फसलें नष्ट हुई और भारी जन-धन की हानि हुई। सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाते हुये कृषि निवेश के रुपये ग्रामीणों के खाते में भेजने के लिये धन आवंटित किया। अब राजस्वकर्मी बाढ़ पीड़ितों के खाते में रुपये भेजने के लिये उनसे अवैध धन की वसूली कर रहे है। 02 जून 2018 को इसी क्षेत्र में आयी भीषण बाढ़ ने फिर एक बार यहां के लोगों को तबाह किया लेकिन राजस्वकर्मियों को दया नहीं आयी। बाढ़ पीड़ितों का दर्द उन्ही की जुबानी सुन सकते है।
वर्ष 2017 में आयी बाढ़ में कृषि निवेश में हुये नुकसान की भरपाई के लिये तुलसीपुर तहसील में बाढ़ पीड़ितों के लिय सरकार ने लगभग छह करोड़ रुपये आंवंटित किये। लेकिन राजस्वकर्मियों की मनमानी और राहत के लिये अवैध वसूली से बाढ़ पीड़ितों को मदद नहीं मिल पा रही है। शिकायत मिलने पर डीएम कृष्णा करुणेश ने इसे गम्भीर अपराध मानते हुये एडीएम को पूरे प्रकरण की जांच सौंपी है। बाढ़ पीड़ितों से की जा रही अवैध वसूली की शिकायत के बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। बाढ़ पीड़ितों से की जा रही अवैध धन की वसूली से सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है जिसको देखते हुये जिला प्रशासन ने जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का मन बना रही है।