इस दौरान कोई व्यवस्था न होने पर पीड़िता को पुन: 24 घंटे के लिए चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया, लेकिन चाइल्ड लाइन में कोई आवासीय व्यवस्था न होने के कारण पीड़िता दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। अधिकारियों की संवेदनहीनता के चलते तीन दिनों से यह रेप पीड़िता चाइल्ड लाइन के कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। इस मामले में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि मामला संज्ञान में है। उन्होंने कहा कि पीड़िता अपने मां-बाप के साथ जाना नहीं चाहती इसलिए उसे बालिका संरक्षण गृह लखनऊ भेजने का प्रयास किया जा रहा है।
नाबालिक युवती अपने पैरंट्स के साथ नहीं जाना चाहती है। चाइल्ड लाइन ने अपनी अभिरक्षा में रखा हुआ है, लेकिन इनकी एक लिमिट होती है 24 घंटे तक रखने की। शासन के आदेश जो समिति थी उसे खत्म कर दिया गया है।एसडीएम सदर इसके नोडल अधिकारी है। उन्हीं के आदेश पर रखा गया है। ये है कि एक लिमिट होती है। लखनऊ भेजने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि यहां माइनर को रखने की कोई जगह नहीं है।