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बलरामपुर

पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया होने पर होती है सांस लेने में दिक्कत, ऐसे करें बचाव

निमोनिया का इलाज सस्ता और सुलभ है लेकिन जागरूकता के अभाव में बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

बलरामपुरDec 10, 2019 / 03:30 pm

Neeraj Patel

पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया होने पर होती है सांस लेने में दिक्कत, ऐसे करें बचाव

पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया होने पर होती है सांस लेने में दिक्कत, ऐसे करें बचाव

बलरामपुर. निमोनिया का इलाज सस्ता और सुलभ है लेकिन जागरूकता के अभाव में बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ठंडक शुरू होते ही सुबह, शाम सर्दी व दोपहर के समय गर्मी महसूस होना, कम उम्र के बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यही नहीं मौसम में लगातार बदलाव के कारण हो रही ठंडक का सबसे ज्यादा असर उन पर ही होता है। चिकित्सकों के अनुसार इस बदलते मौसम में बच्चों को बचाकर रखना बेहद जरूरी है।

मंगलवार को संयुक्त जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेश कुमार वर्मा ने बताया कि बदलते मौसम के साथ बच्चों में डायरिया, हैजा के साथ-साथ निमोनिया का खतरा भी मंडराना शुरू हो जाता है। उन्होंने बताया कि निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसमें फेफड़े में संक्रमण हो जाता है। इस मौसम में छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इस मौसम में दिन में गर्मी का एहसास होता है लेकिन जैसे-जैसे शाम ढलती है ठंड बढ़ने लगती है, ऐसे में बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। डॉक्टर ने बताया जिला संयुक्त चिकित्सालय में लगातार निमोनिया के मरीज बढ़ रहे हैं। पिछले महीने करीब 35 मरीज निमोनिया व 20 मरीज डायरिया के देखे गए हैं। सीएमओ डा. घनश्याम सिंह ने बताया जनसामान्य को जागरूक कर समय से समुचित उपचार कराने की सलाह दी जा रही है। प्रत्येक वर्ष तमाम बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है। समुदाय व स्वास्थ्य केन्द्र दोनों स्तर पर क्षमता वृद्धि व सुविधाओं को मुहैया कराकर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े

एसआरएस 2017 के सर्वेक्षण के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रति एक हजार बच्चों पर 46 बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है। डब्लूएचओ के 2014 की रिपोर्ट के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के 17 प्रतिशत बच्चों की मौत निमोनिया के कारण हो जाती है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक एक हजार की जनसंख्या में 5 वर्ष तक के करीब 60 बच्चे प्रति वर्ष निमोनिया के शिकार होते हैं, जो मौसम के अनुसार घट बढ़ सकते हैं।

ये हैं बीमारी के लक्षण

डा. सुरेश कुमार वर्मा बताते हैं कि निमोनिया का अटैक बच्चों पर ज्यादा तेजी से होता है। खासतौर से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने पर सांस तेज चलना, पसली चलना, स्तनपान व कुछ पी ना पाना, सांस में घड़घड़ाहट, सभी अंग सुस्त होना, बेहोश होना, झटके आना लक्षण हो सकता है। अगर सर्दी जुखाम ठीक नहीं हो रहा है तो बिना समय गवाएं चिकित्सक को दिखाएं और सलाह लें, जिससे निमोनिया होने या न होने का पता चल सके।

ऐसे करें बचाव

सर्दी से बचाव के लिए बच्चों को मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनाएं। जहां तक हो सके बच्चों को पूरे कपड़े पहना कर ही रखें। बच्चों को उल्टी, दस्त, बुखार, खांसी व जुकाम होने पर तुरंत अस्पताल ले जाएं। साथ ही निमोनिया से बचाव के लिए बच्चे को निमोनिया का टीका भी लगवाएं। डा. सुरेश ने बताया ठंड के मौसम में खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा ज्यादा देर तक रखी खाद्य सामग्री भी नहीं खानी चाहिए या खाने से पहले उसे गर्म कर लेना चाहिए।

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