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बलरामपुर

यूपी को मिली नई लोक अदालत, यहां कैदियों से किया जाएगा सीधा संवाद, तुरंत मिलेगा न्याय

लोक अदालत भवन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भवन का न्यायमूर्ति ने किया लोकार्पण.

बलरामपुरNov 18, 2018 / 07:07 pm

Abhishek Gupta

Balrampur Lok Adalat

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बलरामपुर. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा बलरामपुर में न्याय व्यवस्था के लिए प्रशासनिक प्रभारी बनाए गए न्यायाधीश संजय हरकौली ने आज जिला मुख्यालय के निर्माणाधीन दीवानी न्यायालय परिसर में बनाए गए लोक अदालत भवन तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष का फीता काटकर लोकार्पण किया। लोकार्पण के दौरान न्यायाधीश के साथ जनपद न्यायाधीश सर्वेश कुमार, जिला अधिकारी कृष्णा करुणेश, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सहित न्याय विभाग के अन्य बेन्चों के न्यायाधीश तथा अधिवक्ता मौजूद रहे। न्यायाधीश हरकौली ने अधिवक्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिया तथा जनता को सुलभ न्याय लोक अदालत द्वारा दिलाने के लिए सहयोग करने की अपील भी की।
न्यायाधीश वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कैदियों से होगा मुखातिब-

उन्होंने कहा कि लोक अदालत में सामान्य मामलों का निपटारा सुलह समझौते के आधार पर किया जा सकता है तथा वीडियो कान्फ्रेंस कक्ष के शुरू होने से अब जेल में निरुद्ध कैदियों को न्यायालय परिसर तक आने की आवश्यकता नहीं होगी। न्यायाधीश वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कैदियों से सीधे मुखातिब होंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे तथा उनके अधिवक्ताओं की बातों को सुनकर अपना डिसीजन भी देंगे। कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल में निरुद्ध कैदियों को लाने ले जाने तथा उससे होने वाले तमाम परेशानियों से भी अब बचा जा सकेगा ।
लोक अदालत में तुरंत मिलेगा न्याय-

न्यायाधीश हरकौली ने अधिवक्ताओं से वार्ता के दौरान कहा कि कुछ अधिवक्ताओं की ऐसी धारणा होती है कि अधिक से अधिक पेशी लगवाई जाए ताकि मुकदमा लंबे समय तक चले जबकि हमारा अनुभव है कि जो अधिवक्ता शीघ्र न्याय दिलाने का कार्य करते हैं, उन्हें अधिक मुकदमे मिलते भी हैं क्योंकि उनका नाम तेजी से फैलता है। इसलिए सभी अधिवक्ताओं को चाहिए कि वह लोक अदालत में अधिक से अधिक मुकदमे लगवा कर जनता को त्वरित न्याय दिलाने का कार्य करें।
अधिक से अधिक मामले निपटाने का पूरा प्रयास किया जाएगा-

उन्होंने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि बलरामपुर की जो छवि है कम से कम उनके दृष्टि से तो संतोषजनक नहीं है। इसलिए आगे उम्मीद की जाती है कि बलरामपुर की छवि को और अच्छा बनाने का प्रयास किया जाए। अधिवक्ताओं की ओर से मौजूद राजकुमार श्रीवास्तव, गोमती प्रसाद त्रिपाठी, सत्यदेव त्रिपाठी, संजय तिवारी, मुकेश सिंह, श्रवण श्रीवास्तव, कमलेश्वर सिंह, राजेंद्र द्विवेदी, अब्दुल्लाह खान, गुलाम नबी तथा शशांक तिवारी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने माननीय न्यायाधीश को आश्वस्त किया कि उन लोगों की तरफ से लोक अदालत में अधिक से अधिक मामले निपटाने का पूरा प्रयास किया जाएगा और लोक अदालत सहित अन्य सभी अदालतों के सफल संचालन में अधिवक्ता पूरा सहयोग देंगे।
जेल के कैदियों से सीधी हुई बात-

अधिवक्ताओं ने मांग की कि नवनिर्मित दीवानी न्यायालय परिसर में अधिवक्ता चेंबर का निर्माण कराया जाए जिस पर न्यायाधीश हरकौली ने जनपद न्यायाधीश सर्वेश कुमार तथा जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश से शीघ्र आवश्यक कार्रवाई कराते हुए अधिवक्ता चैंबर बनवाने को कहा न्यायाधीश । हरकौली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम के लोकार्पण के बाद न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ कर जेल से सीधे कुछ कैदियों से वार्ता भी की । वार्ता के दौरान दहेज प्रथा में निरुद्ध बंदी जितेंद्र कुमार से मुखातिब होते हुए उनके केस का जायजा लिया तथा जेल में मिल रही सुविधाओं के विषय में भी पूछताछ की। उन्होंने कैदी जीतेंद्र से पूछा कि आज नाश्ते में क्या क्या मिला है तथा भोजन में क्या-क्या दिया गया है ।भोजन की क्या स्थिति है किसी प्रकार की कोई समस्या या जेल प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का कोई समस्याएं उत्पन्न कराई गई है तो उसे खुल कर बताएं । हालांकि कैदी ने सब कुछ जवाब संतोषजनक ही दिया। उसका कहना था कि नाश्ता, खाना सभी स्वादिष्ट व सही मिल रहे हैं। उन्होंने यहां तक पहुंचा कि भरपेट भोजन दिया जाता है या नहीं। यदि कोई खाद्य पदार्थ दोबारा मांगा जाता है तो कैदियों को मिलता है या नहीं मिलता है। वहां मौजूद कैदी द्वारा बताया गया कि दोबारा मांगने पर भी भोजन दिया जाता है। जमानत के विषय में भी उन्होंने बातचीत की और कहा कि यदि किसी कैदी के पैरवी हेतु अधिवक्ता नहीं हैं तो वह अपने जिले के जिलाधीश को सूचित करें ताकि उन्हें न्यायिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
इस समय हमारी ही बेंच है-

सामने खड़े क़ैदी से उन्होंने अभी तक जमानत ना मिलने की बारे में भी पूछा तो उसने बताया कि उनके अधिवक्ता का कहना है की जिले के कोर्ट से जमानत याचिका खारिज हो चुकी है और हाईकोर्ट में बेंच बदलने पर जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया जाएगा। उन्होंने बड़े ही सरलता से कहा कि इस समय हमारी ही बेंच है। आप अपने अधिवक्ता से कहें कि वह जमानत की प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करें। यदि ईश्वर ने साथ दिया तो आपको जमानत जरूर मिलेगा।

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