विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नीलम पाण्डेय बिना किसी पूर्व सूचना के तीन अक्टूबर से विद्यालय से गायब थीं। बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे और कुछ मासूम बच्चे पंजीरी का हलुआ खत्म हो जाने के बाद अपनी अंगुली चाट रहे थे। कुछ ऐसे भी बच्चे थे, जिन्होंने कहा कि जब सब्जी और चावल बनता है तब पेट भरता है और जब हलुआ बनता है तो पेट नहीं भरता। इसी कारण कुछ बच्चे हलवा खाते भी नहीं।
छोटे से भगोने से पोछ-पोछ कर रसोइया बच्चों को नाममात्र का पंजीरी का घोल पकडा रही थी। जब रसोइये से इस बाबत पूछा गया तो उसने कहा कि जो मिलता है वही बनाते हैं। स्कूल में बच्चों के साथ किये जा रहे इस भद्दे मजाक की सूचना जब बीएसए को दी गयी तो वो भी भागते हुये स्कूल पहुँचे और खाने के नाम पर मासूम बच्चों के साथ किये जा रहे इस भद्दे मजाक को काफी गम्भीरता से लिया।
पंजीरी का हलुआ देख बीएसए हरिहर प्रसाद खुद भौंचक रह गये। बीएसए के सामने बच्चों ने कबूला कि पंजीरी का यह हलवा अक्सर बनता है। तीन महीने से बच्चों को फल नहीं वितरित किया गया है। एक साल से बच्चों को दूध नही दिया गया है। स्कूल में 109 बच्चों के सापेक्ष 53 बच्चे उपस्थित पाये गये। बीएसए ने इस घटना के काफी गम्भीरता से लेते हुये दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही है।