डॉ. कमलेश चंद्रा की रिपोर्ट में ग्रामीण डाक कर्मियों की समस्याओं के निदान पर विस्तार से रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है। इन्होंंने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि समान वेतन समान कार्य के घंटों का निर्धारण मुख्य डाक घरों में कार्यरत कर्मचारियों के समान हो। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी दी जाएं।
सरकार की नियत में खोट जीडीएस संघ के मंडल के महामंत्री पंडित रामानंद तिवारी ने बताया कि कई बार हम लोगों के शीर्ष नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश धर दुबे और सुगंधी मिश्रा राष्ट्रीय महामंत्री के प्रयासों से केंद्र सरकार ने वार्ता की है। वार्ता के दौरान कमलेश चंद्रा की रिपोर्ट को शीघ्र लागू करने का आश्वासन दिया गया है। लेकिन सरकार की नियत में कहीं ना कहीं खोट है, जिसके चलते आश्वासन के बावजूद बरसों बीत गए पर रिपोर्ट लागू नहीं की गयी है।
सरकार का ढीला ढाला रवैया कमलेश चंद्रा की रिपोर्ट को वर्ष 2016 से लागू होना था, जो अभी तक लागू सरकार नहीं कर रही है। सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैया से असंतुष्ट होकर पूरे देश भर के ग्रामीण डाक सेवक कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे देश के एक लाख पचहत्तर हजार ग्रामीण डाकघरों में पूर्ण रूप से कार्य ठप कर दिया गया है जिससे एक ओर जहां राजस्व की क्षति हो रही है वहीं आम लोगों को काफी कठिनाई उत्पन्न हो रही है।
डाकघरों पर कर रहे धरना प्रदर्शन उन्होंने बताया कि न चाहते हुए भी हम लोगों को ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार विवश कर रही है। ग्रामीण क्षेत्र के सभी उप डाकघरों के डाक सेवक कार्य बहिष्कार करते हुए मुख्य डाकघरों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जनपद बलरामपुर के मुख्य डाकघर बलरामपुर तथा तुलसीपुर उतरौला पचपेड़वा व गैसड़ी सहित अन्य डाकघरों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
जनपद बलरामपुर में कुल 107 और देवीपाटन मंडल में कुल 544 तथा पूरे देश में 1 लाख 75 हजार ग्रामीण उप डाकघर हैं। यहां पर पूर्ण रुप से कार्य ठप हो चुका है और जब तक मांगों को माना नहीं जाएगा, तब तक कार्य पूरी तरह से ठप रहेगा। जिला मुख्यालय के प्रधान डाकघर पर धरना प्रदर्शन में शामिल होने वाले वक्ताओं में मंडल अध्यक्ष रवि प्रताप पांडे, उपाध्यक्ष डॉक्टर अमर उद्दीन, रामचंद्र यादव प्रमुख हैं। इसके अलावा जनपद के ग्रामीण डाक घरों के कर्मचारी काफी तादाद में धरना स्थल पर मौजूद रहे।