आपकों बता दें कि बीते दो दिन पहले नरैनी तहसील के करतल रोड पर खनिज चेक पोस्ट की सड़क किनारे खेत में जमुआरा गांव निवासी अबरार की लाश मिलने से हड़कंम्प मच गया था, मृतक के चेहरे, सीने और हाथ-पैरों में चोट के कई निशान थे। घटना की सूचना मृतक के परिजनों को मिलते ही सैकड़ों की तादाद में परिजन और ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर पुलिस को लाश सुपुर्द करने से इंकार के साथ ही बांदा-पन्ना मार्ग जाम कर दिया था। तकरीबन 12 घंटे तक मृतक के परिजनों और क्षेत्रीय लोगों ने लाश पुलिस के सुपुर्द नहीं की थी और लाश रखकर सड़क जाम किये रहे थे । दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के साथ जमकर हंगामा किया था।
खास बात यह थी कि नरैनी एसडीएम पर ही हत्या का आरोप, मृतक के परिजनों ने लगाया था, जबकि जिला प्रशासन एसडीएम के खिलाफ रिपोर्ट भी लिखने को तैयार नहीं थे। मृतक के परिजनों का कहना था कि रात एसडीएम नरैनी सीएल सोनकर ने सड़क पर मृतक अबरार को दौड़ाया था और साथ गाड़ी में ले गए थे, सुबह खेत में उसकी लाश मिली थी। मृतक के परिजनों का आरोप है कि बालू माफियाओं के साथ मिलकर एसडीएम ने ही अबरार की पिटाई की है, जिससे उसकी मौत हो गई है।
मौके पर पहुंचे प्रभारी डीएम और पुलिस अधिकारी एसडीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं थे, आरोपियों के नाम से एसडीएम का नाम हटाने के लिए मृतक के परिजनों पर लगातार दबाव डालने में प्रशासन जुटा रहा था। चश्मदीदों के अपने बयान पर अड़े रहने पर देर रात पुलिस-प्रशासन को भी बैकफुट पर जाना पड़ा था। प्रत्यक्षदर्शियों का भी कहना था कि एसडीएम नरैनी ने मृतक को दौड़ाकर पकड़ा था। इस मामले में अपर एसपी का कहना था कि मामले की जांच में अगर एसडीएम दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में हो रही पुलिस की फजीहत के चलते कल देर रात एसडीएम नरैनी और उनके सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही इस मामले की जांच के लिए एडीएम फाइनेंस की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी भी गठित की गयी है। वही दूसरी तरफ नरैनी तहसील के डेढ़ दर्जन कर्मचारियों ने एसडीएम के बचाव में एडीएम को ज्ञापन देकर एसडीएम को निर्दोष बताते हुए उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना था कि इस घटना में बालू माफियायों का हाथ भी हो सकता है, इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।