बीजेपी की सीट खटाई में पड़ती नजर आ रही
बता दें कि इस बार बांदा का चुनाव बहुत ही दिलचस्प होगा क्यूंकि तीनों प्रत्याशी सपा से पूर्व में सांसद रह चुके हैं और अब अलग-२ पार्टियों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पर इस बार बीजेपी की सीट खटाई में पड़ती नजर आ रही है क्यूंकि सीट का दावा किये बैठे 2014 के बीजेपी सांसद भैरो प्रसाद मिश्र को मिलने वाला टिकट आर के सिंह पटेल को मिलने से बीजेपी का खेमा नाराज है।
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले अशोक त्रिपाठी उर्फ़ जीतू भइया ने इससे नाराजगी जताते हुए बीजेपी से बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन किया था, लेकिन संयोग वश उनका नामांकन रद्द हो गया। पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र और बीजेपी नेता अशोक त्रिपाठी की बगावत से बीजेपी की हालत खस्ता है। जो कसर बची थी वो मौजूदा बीजेपी प्रत्याशी ने पूरी कर दी है।
गठबंधन के लिए बीजेपी प्रत्याशी ने मांगे वोट
बांदा-चित्रकूट सीट से बीजेपी प्रत्याशी आर के सिंह पटेल ने एक नुक्कड़ सभा में जनता से अपील की है। “यदि आपको मैं पसंद नहीं हूं तो मुझे वोट देना, पर गठबंधन को वोट देकर उसे जरूर जिता देना, अपने वोट को बर्बाद न करना, कोई और नहीं जीतना नहीं चाहिए”। बीजेपी प्रत्याशी के इस अजीबों गरीब बयान से बीजेपी खेमे में हलचल मच गई है। बुद्धजीवी भी बीजेपी प्रत्याशी के इस बयान को समझ नहीं पा रहे हैं।
वहीं जानकारों की माने तो इन तीन सीटों में दो सीटों से पटेल चुनाव लड़ गए है। कांग्रेस के बाल कुमार पटेल जो की कुख्यात डकैत ददुआ के भाई हैं को हराने के लिए बीजेपी प्रत्याशी आर के सिंह पटेल ने ये बयान दिया है। बयान का अर्थ चाहे जो भी हो पर इस बार बांदा-चित्रकूट से बीजेपी की सीट निकलना बड़ी बात होगी।
आर के सिंह पटेल ने बसपा से राजनीतिक सफर की शुरुवात की
बांदा-चित्रकूट सीट से बीजेपी प्रत्याशी आर के सिंह पटेल ने बसपा से राजनीतिक सफर की शुरुवात की और 1994 में पहली बार मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। दूसरी बार बसपा के टिकट पर ही 1996 में विधानसभा पहुंचे और कैबीनेट मंत्री भी बने। तीसरी बार 2002 में बसपा से विधायक बने, किन्तु 2007 में बसपा से टिकट कटने पर सपा में शामिल होकर चुनाव लड़े, लेकिन मामूली अंतर से चुनाव हार गए। 2009 में सपा से ही सांसद बने। 2014 बसपा से लोकसभा लड़े और मोदी की आंधी में हार का सामना करना पड़ा। 2017 में भाजपा में शामिल होकर मनिकपुर से विधानसभा लड़े और विधायक बने और अब 2019 में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।