वहीं इस मामले में बीडीओ साहब ने अलग ही राग अलापा है। बीडीओ का कहना है कि इस गड़बड़ी का ज़िम्मेदार जनधन खाता है जिसमें पहली क़िस्त भेजी गयी थी लेकिन दूसरी क़िस्त 50 हज़ार से ज़्यादा थी इसलिए पैसा जनधन खाते में नहीं दिया जा सका और दूसरी क़िस्त के लिए बचत खाता खुलवाकर शासन को भेज दिया गया है । जनधन खाता को ज़िम्मेदार ठहराने वाले बीडीओ साहब से जब जनधन खातों की उपयोगिता के बाबत सवाल किया गया तो उन्होने शासन की ही मंशा पर सवालिया निशान लगा दिया । बीडीओ का कहना था कि जनधन खातों के अनिवार्यता के चलते वह खुद परेशां हैं और शासन की क्या मंशा है वह नहीं कह सकते।