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बांदा

गरीबों को नहीं मिल रहा जनधन का पैसा, सरकार नहीं कर रही मदद, अधिकारी मोबाइल खेलने में व्यस्त

पीएम मोदी की महत्वकांक्षी जनधन योजना गरीबों के लिए जान के लिये बवाल बन गयी है।

बांदाAug 08, 2018 / 10:01 am

आकांक्षा सिंह

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गरीबों को नहीं मिल रहा जनधन का पैसा, सरकार नहीं कर रही मदद, अधिकारी मोबाइल खेलने में व्यस्त

बांदा. पीएम मोदी की महत्वकांक्षी जनधन योजना गरीबों के लिए जान के लिये बवाल बन गयी है। प्रधानमंत्री आवास योजना में जनधन खाते के चलते गरीबों को अब तक आशियाना मयस्सर नहीं हुआ है और अब खुद सरकार के नुमाइंदे भी जनधन योजना को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाने लगे हैं। वहीं तहसील दिवस में अफसरों के मोबाइल प्रेम ने भी पीड़ितों को काफी परेशान कर रखा है। ताज़ा मामला बुंदेलखंड के बांदा का है जहां आज एक लाभार्थी ने तहसील दिवस में धक्के खाने के बाद इस खोखली व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। प्रधानमंत्री आवास की पहली क़िस्त मिले इस परिवार को एक साल बीत जाने के बाद भी दूसरी क़िस्त नहीं दी गयी और लाभार्थी परिवार समेत अधिकारीयों के चक्कर काट रहा है। वहीं संबंधित अधिकारी इस गड़बड़ी के पीछे भी पीएम की जनधन योजना के तहत खोले गए खातों को ही ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।

मामला बांदा के पैलानी तहसील के नादादेव का है जहां सुरेंद्र कुमार को आवास योजना के लिए चयनित किया गया था जिसके तहत सुरेंद्र के बैंक खाते में 12 जून 2017 को पहली क़िस्त के रूप में 40 हज़ार रूपये भेजे गए थे जिस पर सुरेंद्र ने अपना कच्चा मकान तुड़वाकर मकान बनवाना शुरू कर दिया, लेकिन उसके बाद से उसके खाते में दूसरी क़िस्त का पैसा आज तक नहीं आया और लाभार्थी परिवार इस घनघोर बरसात में भी बिना छत के अधबने मकान में बसर करने पर मजबूर है। तहसील और समाधान दिवस में पीड़ित फ़रियाद लगाते लगाते थक गए लेकिन पैसा नहीं आया। आज भी पीड़ित परिवार अपनी फ़रियाद सुनाने पैलानी तहसील में तहसीलदिवस पहुंचा लेकिन यहां अफसरों की दिलचस्पी मोबाइल में ज़्यादा थी और एक घंटे के बाद भी इस पीड़ित परिवार को मायूसी ही हाथ लगी।

वहीं इस मामले में बीडीओ साहब ने अलग ही राग अलापा है। बीडीओ का कहना है कि इस गड़बड़ी का ज़िम्मेदार जनधन खाता है जिसमें पहली क़िस्त भेजी गयी थी लेकिन दूसरी क़िस्त 50 हज़ार से ज़्यादा थी इसलिए पैसा जनधन खाते में नहीं दिया जा सका और दूसरी क़िस्त के लिए बचत खाता खुलवाकर शासन को भेज दिया गया है । जनधन खाता को ज़िम्मेदार ठहराने वाले बीडीओ साहब से जब जनधन खातों की उपयोगिता के बाबत सवाल किया गया तो उन्होने शासन की ही मंशा पर सवालिया निशान लगा दिया । बीडीओ का कहना था कि जनधन खातों के अनिवार्यता के चलते वह खुद परेशां हैं और शासन की क्या मंशा है वह नहीं कह सकते।

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