इस साल राज्य में 2.20 लाख टन किशमिश तैयार की गई। उसमें 1.20 लाख टन किशमिश गोदामों में पड़ी हुई है। औसतन 100 रुपए किलो भी दर मानें तो लगभग 1200 करोड रुपए किशमिश में फंसे हुए हैं।
जबकि दशहरा और दिवाली में लगभग 50 हजार टन किशमिश की बिक्री होने की उम्मीद है। दो माह के बाद ही आर्थिक चक्र से किसानों के संवरने की संभावना है। राज्य में सबसे ज्यादा अंगूर का नासिक, सांगली, जालना, सोलापुर, सातारा, इंदापुर के साथ कुछ हद तक इंदापुर, बीड और कर्नाटक के सीमाभाग में उत्पादन होता है।
इस साल कोरोना के चलते लॉकडाउन से राज्यभर में 60 हजार टन किशमिश ज्यादा तैयार हुई। बिक्री के लिए अंगूर से किशमिश की प्रत कम हुई। कोरोना के चलते देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मांग घटी।
हर साल के ग्राहक भी मिलना कठिन हुआ। ज्यादा किशमिश तैयार होने से दर भी गिरी और ज्यादा माल पडा रहा। राज्यभर के कुल शीतगृह में 1.20 टन किशमिश पड़ी हुई है। सांगली के साथ नासिक जिले में फलछटणी की तैयारी अंतिम चरण में है।
आनेवाले समय देश के साथ निर्यात के लिए बाजारपेठ का अनुमान नहीं होने से देर से हंगाम लेने की ओर किसानों का कल है। जबकि नासिक अंगूर का बडे पैमाने पर नुकसान होने से 15 अगस्त से छटणी शुरू हुई है।
सांगली में इसकी शुरुआत हुई है। सितंबर के आखिर तक दस फीसदी और बाकी 85 फीसदी छटणी अक्टूबर में होगी। उसकी तैयारी शुरू है। गए साल निर्यात किए कुछ किसानों को अब भी पूरी रकम नहीं मिली है।
कोरोना के चलते बाजारपेठ, दर, मांग, निर्यात, दलालों की ओर से होने वाली खरीदारी, इसके बारे में अस्थिरता होने से कृषि सेवा केंद्र की ओर से उधार नहीं दिया जा रहा जिससे हंगाम की चलते किसानों के सामने संकट खडा हुआ है।
किशमिश का उठाव भी जल्दी से होनेकी संभावना नहीं है। कर्जमाफी, ज्यादा कर्जा के चलते कईयों को नए सिरे से कर्जा मिलना नामुमकिन हुआ है।