आचार्य मुक्तिसागर सूरिश्वर ने जिनेश्वर भगवन के मेरु शिखर पर 64 इंद्रों द्वारा भव्य अभिषेक का वर्णन करते हुए कहा कि जिनेश्वर प्रभु का अभिषेक करने के लिए करोड़ों देव देवियां मेरु पर्वत पर आकर 108 कलशों से मस्ताभिषेक करके स्वयं को धन्य अनुभव करते हैं।
ऐसे इस लोक के दिव्यतम वैभव को पाकर भी जिनेश्वर भगवन उसमे आसक्त नहीं होते हैं। संसार की सर्वोत्तम रिद्धि को छोडक़र वे मोक्ष की शाश्वत अक्षय अनंत सुखमय आत्म रिद्धि को प्राप्त करने के लिए संयम के मार्ग पर बढक़र इस विश्व को एक नई संयममयी प्रेरणा का संचार करते हैं।
इस अवसर पर साध्वी दृढ़शक्तिश्री ठाणा 2 की उपस्थिति रही। सुबह 10.30 बजे भवतारक पाश्र्वनाथ का दिव्य औषधियों के साथ 18अभिषेक संघ के सामूहिक लाभार्थियों द्वारा किया गया। विधिकारक अश्विन गुरू द्वारा विधि विधान कराए गए। संगीतकार उमेश एंड पार्टी ने भजनों की प्रस्तुति दी।
रत्नत्रयी महोत्सव के उपलक्ष में परमात्मा की मनमोहक अंगरचना एवं जिन मंदिर की सुन्दर सजावट की गई। मंगलवार सुबह 8 बजे ध्वजा के लाभार्थी परिवार के साथ नूतन ध्वजा तेरापंथ भवन से सकल संघ शोभायात्रा के साथ जिनालय पहुंचेगा जहां आचार्य मुक्तिसागर सूरिश्वर की निश्रा में मंत्रोच्चार के साथ सोहनराज महावीरचंद संचेती परिवार द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा। 11.30 बजे से प्रवचन होगा।