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बैंगलोर

स्वाइन फ्लू से प्रदेश में 15 दिन में 20 लोगों की मौत

प्रदेश में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू का प्रभाव जारी है। गत दो सप्ताह में 20 मरीजों की मृत्यु हुई है। 84 नए मरीज मिले हैं।

बैंगलोरMay 26, 2019 / 11:49 pm

शंकर शर्मा

स्वाइन फ्लू से प्रदेश में 15 दिन में 20 लोगों की मौत

स्वाइन फ्लू से प्रदेश में 15 दिन में 20 लोगों की मौत

बेंगलूरु. प्रदेश में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू का प्रभाव जारी है। गत दो सप्ताह में 20 मरीजों की मृत्यु हुई है। 84 नए मरीज मिले हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पहले की तुलना में ज्यादा लोग जांच के लिए आगे आ रहे हैं। जागरूकता के साथ मरीजों की संख्या बढ़ी है। समय रहते पहचान से उपचार में मदद मिल रही है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से शनिवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार जनवरी से लेकर शनिवार तक प्रदेश में स्वाइन फ्ल के कुल १६४० मरीजों की पुष्टि हुई। इनमें से ७६ मरीजों की मौत हो गई। २७३ मामलों के साथ उडुपी जिला सर्वाधिक प्रभावित है। २३६ मरीजों के साथ बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका क्षेत्र दूसरे स्थान पर है। दक्षिण कन्नड़ में १८०, शिवमोग्गा में १५० और मैसूरु में १३० मरीजों की पुष्टि हुई। ७६ मृतकों में से १२ शिवमोग्गा और १२ दावणगेरे से हैं।


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में संचार रोग विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एस.सज्जन शेट्टी ने बताया कि स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एक स्ट्रेन के कारण होता है। हर बार स्टे्रन में बदलाव होता है। गत वर्ष कैलिफोर्निया स्ट्रेन था और इस बार मिशिगन है। मिशिगन स्ट्रेन वाले वायरस की ताकत पहले वाले कैलिफोर्निया वायरस से ज्यादा है। शारीरिक प्रतिरक्षा आठ से नौ माह तक रहती है। हताहत होने की जरूरत नहीं है। स्वाइन फ्लू बीमारी नई नहीं रही। समय पर पहचान हो जाए तो उपचार संभव है।


कुछ अहम तथ्य ये भी
– २०१४ में ३०३ मरीज मिले थे, ३४ मरीजों को बचाया नहीं जा सका था।
– २०१५ में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई। ३५६५ मरीज मिले। ९४ लोगों की मौत हुई।
– वर्ष २०१६ ठीक रहा, मरीजों की संख्या करीब १०० थी। एक भी मौत नहीं हुई।
– वर्ष २०१७ में मरीजों की संख्या फिर से बढ़ गई, ३२६० लोग प्रभावित हुए। १५ लोगों की मौत हो गई।
– वर्ष २०१८ में मरीजों की संख्या घटकर आधी हो गई, १७३३ मामले पॉजिटिव पाए गए। ८७ मरीजों की मौत हुई।
– वर्ष २०१९ में २५ मई तक १६४० मरीज मिले हैं, जबकि ७६ मरीजों की मौत हुई है।

बेंगलूरु में एक माह में २५० डेंगू के मामले सामने आए
बेंगलूरु. बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के अंतर्गत डेंगू प्रभावितों की संख्या बढ़ रही है और गत एक माह मे २५० लोगों में डेंगू के लक्ष्ण दिखाई दिए हैं। इसके लिए पालिका के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही को जिम्मेदार बताया जा रहा है। बेंगलूरु शहरी जिले स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत ६३ वार्ड में साल के शुरुआत में ही डेंगू के नौ मामले सामने आए थे। बेंगलूरु ग्रामीण जिले में कोई भी मामला सामने नहीं आया। बेंगलूरु के पुराने और मध्य क्षेत्र के अंतर्गत १३५ वार्ड में गत एक माह में २५० लोग डेंगूू की चपेट में आए। गत पांच माह में इस बीमारी की जद में आने वालों की संख्या ४५७ हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पालिका के जागरूकता कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कमी, ऐहतियाती कदम नहीं उठाने और कचरा निस्तारण को सही तरीके से अंजाम नहीं देने से मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है। पालिका के अस्पतालों में मलेरिया, डेंगू का पता लगाने के लिए कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी।


स्वास्थ्य विभाग सक्रिय, पालिका सुस्त
इसकी सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने आपात बैठक कर अधिकारियों को अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों का पता लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रथामिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत घर-घर जाकर जूनियर स्वास्थ्य सहायक, आशा कार्यकर्ता, हर दो माह में २५ से २० घरों में संक्रमिक से संबंधित जागृति पैदा कर रहे हैं। कई जगहों पर जागृति सभाएं, नुक्कड़ नाटक और शिविरों का आयोजित कर रही है। इस तरह का कार्य पालिका की ओर से नहीं हो पा रहा है। २०१७ की तुलना में २०१८ में डेंगू पर काफी हद तक नियंत्रण रखा गया था। इस बार गर्मी अधिक होने और मानसून की देरी से डेंगू के मामले बढऩे से नागरिक परेशान हैं। शहर में बारिश कम हुई है, गर्मी बढ़ रही है।

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