कुछ पर बोझ ज्यादा तो किसी काम नहीं
प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग हो स एसोसिएशन (The Private Hospitals and Nursing Homes Association) के अध्यक्ष डॉ. आर. रविन्द्र के अनुसार कोविड लैब्स पर निगरानी के लिए केंद्रीकृत प्रणाली स्थापित नहीं हो सकी है। सरकार इसमें पीछे है। कुछ लैब पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है तो कुछ में गिनती के सैंपल पहुंच रहे हैं।
आइसीएमआर से अनुमति मिलने में लग रहा समय
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कोरोना की रोकथाम में इस स्थिति को चिंताजनक बताया है। ऊपर से कई निजी अस्पताल व मेडिकल कॉलेज भी जांच तकनीकों की कमी के कारण जांच लैब शुरू नहीं कर सके हैं। अस्पताल तैयार भी हैं तो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (The Indian Council of Medical Research) से अनुमति मिलने में समय लग रहा है।
ज्यादातर वेंडर मुंबई में
कोलार स्थित देवराज यूआरएस विवि के चांसलर एस. कुमार ने बताया कि विवि के अंतर्गत देवराज यूआरएस मेडिकल का संचालन होता है। लेकिन लैब स्थापित करने के लिए उपकरण आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। आपूर्ति करने वाले ज्यादातर वेंडर मुंबई (Most of the Vendors are Mumabi Based) में हैं। महाराष्ट्र (Maharashtra) पहले से ही कोरोना से जूझ रहा है। उन्होंने तीन सप्ताह पहले आइसीएमआर (ICMR) से अनुमति मांगी थी। कुछ दिनों पहले कोविड लैब के लिए स्वीकृति मिली है। लैब में प्रतिदिन 60 नमूने जांचे जा रहे हैं जबकि क्षमता 200 सैंपल प्रतिदिन की है। 200 सैंपल तक पहुंचने में समय लगेगा।
60 में से 40 निजी मेडिकल कॉलेज तैयार
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के कुलपति डॉ. एस. सचिदानंद ने बताया कि सरकार स्थिति से अवगत है और निजी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों की मदद कर रही है। 60 में से 40 निजी मेडिकल कॉलेज लैब स्थापित कर चुके हैं। जांच भी जल्द शुरू होगी। शेष कॉलेज जांच लैब स्थापित करने की तैयारी में हैं।