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बैंगलोर

सरकारी स्कूलों में मरम्मत के लिए 2500 करोड़ की जरूरत

राज्य के 5588 सरकारी प्राथमिक स्कूल के 10,258 तथा 264 माध्यमिक स्कूल के 949 क्षतिग्रस्त कमरों की मरम्मत के लिए 2500 करोड़ रुपए के अनुदान की दरकार है।

बैंगलोरJul 13, 2018 / 10:21 pm

शंकर शर्मा

सरकारी स्कूलों में मरम्मत के लिए 2500 करोड़ की जरूरत

सरकारी स्कूलों में मरम्मत के लिए 2500 करोड़ की जरूरत

बेंगलूरु. राज्य के 5588 सरकारी प्राथमिक स्कूल के 10,258 तथा 264 माध्यमिक स्कूल के 949 क्षतिग्रस्त कमरों की मरम्मत के लिए 2500 करोड़ रुपए के अनुदान की दरकार है। प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा मंत्री एन.महेश ने गुरुवार को विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के सदस्य धर्मसेना के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।


शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017-18 के बजट में प्राथमिक स्कूलों के 76 0 कमरे तथा माध्यमिक स्कूल के 760 कमरों की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। शिक्षा मंत्री के इस जवाब से नाराज कई सदस्यों नें कहा कि इतने कम आवंटन से सरकारी स्कूलों के क्षतिग्रस्त कमरों की मरम्मत संभव नहीं है। शिक्षा मंत्री ने विधायकों को क्षेत्र विकास निधि से इस काम के लिए अनुदान जारी करने की अपील की।

कांग्रेस के सदस्य शरणप्पा मट्टूर ने कहा कि गत तीन वर्ष से बीदर, कलबुर्गी जिलों में स्थानीय जिला प्रशासन उनके ऐसे अनुदान का उपयोग करने में विफल रहा है। इसका तुरंत उपयोग करने के लिए जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश मिलने चाहिए। शिक्षा मंत्री ने योजना विभाग के साथ विचार विमर्श कर ऐसे निर्देश जारी करने का सदन को आश्वासन दिया।


स्थानांतरण की प्रक्रिया कब तक
शिक्षा मंत्री ने भाजपा की तारा अनुराधा के सवाल के जवाब में कहा कि प्राथमिक माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक तथा पीयू कॉलेज के व्याख्याताओं के स्थानांतरण के लिए काउंसिलिंग 10 दिन में शुरू की जाएगी।


इससे पहले तारा अनुराधा ने कहा कि यह प्रक्रिया अभी तक नहीं शुरू होने से दंपती शिक्षकों को परेशानी हो रही है। पति मैसूरु जिले में काम करता है तो पत्नी कलबुर्गी जिले में काम करती है। इससे शिक्षकों के परिवार पर असर हो रहा है। लिहाजा स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी कर दंपती शिक्षकों के साथ न्याय किया जाना चाहिए।


शिक्षकों को नहीं करें हतोत्साहित
शिक्षा मंत्री ने कहा की निजी स्कूलों में जाकर वहां विद्यार्थियों के सामने किसी भी शिक्षक को हतोत्साहित करने का अधिकार शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी को नहीं है।

सदस्य वाई.ए.नारायणस्वामी के सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि अगर सदस्य ऐसे किसी मामले की जानकारी उन्हें दी जाएगी तो वे अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को तैयार हैं। इस पर नारायणस्वामी ने कहा कि परीक्षा परिणामों के मानदंडों के आधार पर शिक्षकों का वेतन रोका जा रहा है। यह मानदंड केवल शिक्षा विभाग तक ही सीमित क्यों है? प्रशासन के किसी अन्य विभाग में निर्धारित कार्य पूरा नहीं होने पर उस विभाग के कर्मचारियों का वेतन क्यों नहीं रोका जाता?


तीन वर्ष में 823 करोड़ रुपए का भुगतान
भाजपा के सदस्य के.पी.नंजुडी के सवाल के जवाब में प्राथमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत गत तीन वर्षों के दौरान निजी स्कूलों को सरकार की ओर से वर्ष 2015-16 में 204 करोड़, वर्ष 2016 -17 में 226 करोड़ तथा वर्ष 2017-18 में 392 करोड़ कुल मिलाकर तीन वर्षों में 823 करोड़ रुपए का अनुदान आवंटित किया गया है। वर्ष 2017-18 में राज्य में आरटीई के तहत उपलब्ध 1 लाख 28 हजार 6 48 सीटों में से 1 लाख 9 हजार विद्यार्थियो ंको निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है।


सभी विवि में एक रूप पाठ्यक्रम असंभव
उच्च शिक्षा मंत्री जी.टी.देवेगौड़ा ने कांग्रेस के सदस्य आर. प्रसन्नकुमार के सवाल के जवाब में कहा की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देश पर गठित अध्ययन समिति विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम तय करती है। उसके पश्चात विश्वविद्यालय शिक्षा परिषद इसे मंजूरी प्रदान करती है फिर राज्यपाल इसका अनुमोदन करते हैं। इस प्रक्रिया के चलते राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को एक सा पाठ्यक्रम निर्धारण संभव नहीं है।

प्रिसिंपल के 372 में से 366 पद रिक्त
कांग्रेस के सदस्य प्रतापचंद्र शेट्टी के सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी पीयू कॉलेज के मंजूर प्रिंसिपल के 372 पदों में से 6 पद भरे गए है। अन्य 366 पद रिक्त है। मंत्री के इस जवाब पर सदन के कई सदस्यों ने आक्रोश व्यक्त किया। भाजपा के अरुण शाहपुर ने कहा कि राज्य के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपति का पद भी रिक्त है। ऐसे में इन विश्वविद्यालयों का प्रशासन कैसे चल रहा है।

इन पदों को भरने के लिए राज्य सरकार ने कौन से प्रयास किए है? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि ऐसे पद रिक्त होने से शिक्षा संस्थानों के दैनंदिन कामकाज पर कोई असर नहीं हुआ है। यह दायित्व प्रभारियों को सौंपा गया है। राज्य के पीयू कॉलेज के लिए मंजूर 13,616 पदों में से 9033 पद भरे गए हैं। 4,583 पद भरने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया जारी है।

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