बेंगलूरु के बाद ८५७ मरीजों के साथ दक्षिण कन्नड़ जिला सर्वाधिक प्रभावित है। शिवमोग्गा में ३०८, हावेरी में २११, हासन में १५०, चामराजनगर में १४१ और कलबुर्गी में १३४ मरीजों की पुष्टि हुई है। प्रदेश में ऐसा कोई जिला नहीं है, जहां डेंगू का प्रभाव नहीं है।
बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के अधिकारियों ने डेंगू के बढ़ते मामलों के लिए बारिश को जिम्मेदार ठहराया है। बीबीएमपी के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीके विजयेंद्र के अनुसार बारिश और इसके कारण जल जमाव के कारण डेंगू के मामलों में इजाफा हुआ है। शहर में ३६ वार्ड ऐसे हैं, जहां डेंगू का प्रभाव सर्वाधिक है।
निजी चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू के वास्तविक और सरकारी आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर है। मणिपाल अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. सुदर्शन बल्लाल के अनुसार हर यदि १० मरीज आंकड़ों में हैं तो समझिए कि करीब १०० मरीज छूट गए हैं। एक अन्य अस्पताल के अनुसार डेंगू के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। निजी अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में स्थिति चिंताजनक है।
डेंगू के लिए लोग बीबीएमपी और स्वास्थ्य विभाग को खूब कोसते हैं। लेकिन डेंगू के लिए लोग भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि डेंगू मच्छर साफ पानी में पैदा होता है। स्वास्थ्य विभाग और बीबीएमपी की जांच में घरों के अंदर पड़े सामान में ही लार्वा सबसे अधिक पाया जाता है।