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बैंगलोर

कोरोना काल में 93 फीसदी महिलाएं स्तनपान को लेकर चिंतित

– विश्व स्तनपान सप्ताह- 99 फीसदी ने कहा, मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी करेंगे सुरक्षा

बैंगलोरAug 07, 2020 / 06:11 pm

Nikhil Kumar

कोरोना काल में 93 फीसदी महिलाएं स्तनपान को लेकर चिंतित

कोरोना काल में 93 फीसदी महिलाएं स्तनपान को लेकर चिंतित

बेंगलूरु. स्तनपान सप्ताह और कोरोना महामारी के समय में 93 फीसदी महिलाओं ने स्तनपान (93% of moms are concerned about breast feeding their baby during COVID pandemic ) को लेकर चिंता जताई है। लेकिन 99 फीसदी महिलाओं को यह भी लगता है कि मां के दूध से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रहेंगे। 10 में से नौ मांओं ने कहा कि स्तनपान के जरिए शिशु के शरीर में एंटीबॉडी (antibody) पहुंचे हैं। पांच में से तीन मांओं ने ये भी माना कि मौजूदा स्थिति में स्तनपान कराना उनके लिए चुनौतीपूर्ण अनुभव है।

एक निजी कंपनी की ओर से बेंगलूरु, जयपुर, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, भोपाल और कानपुर सहित अन्य कई शहरों में किए गए इस अध्ययन में स्तनपान कराने वाली 25 से 35 और 36 से 45 वर्ष की 800 महिलाओं को चुना गया। इनमें से 65 फीसदी महिलाएं गृहिणी थीं। 35 फीसदी महिलाएं दो बच्चों की मां थीं।

दो फीसदी मांओं ने ही कहा कि स्तनपान को लेकर वे चिंतित नहीं हैं। 10 में से नौ मांओं ने कहा कि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वे स्तनपान कराती हैं जबकि पांच में चार को लगता है कि पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए मां का दूध जरूरी है। सात फीसदी महिलाएं इस बात से चिंतित थीं की आपात स्थिति में चिकित्सक मिलेंगे या नहीं।

एंटीबॉडीज और इम्यूनोग्लोबिन पहुंचते हैं
शिशुओं को कुपोषण से बचाने व स्तनपान के महत्व को लेकर लागों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में स्तनपान दिवस (World Breastfeeding Week) का आयोजन किया जाता है। चिकित्सकों का भी मानना है कि स्तनपान शिशु और मां दोनों के लिए जरूरी होता है। मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि इसमें सभी पोषक तत्व सही अनुपात में होते है। जन्म के समय बच्चे की रोग प्रतिरोधक तंत्र निष्क्रिय होती है, मां के दूध से ही उसके शरीर में एंटीबॉडीज और इम्युनोग्लोबिन पहुंचते हैं। मां का दूध लिपोप्रोटीन का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है। स्तनपान के दिनों में चिकित्सक के सलाह के बिना कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। स्तनपान कराने से मां का वजन नियंत्रित रहता है, स्तन कैंसर की संभावना घट जाती है। स्तनपान को तो कोई नकारात्मक पहलू है ही नहीं।

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