इसलिए थोड़ी सी बारिश होते ही यह नाले उफन जाते हैं और पानी सड़कों तथा आस-पास की बस्तियों में जमा हो जाता है। इसके परिणाम स्वरूप शहर में आधे घंटे की बारिश के बाद भी कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।
शहर के दोड्डकल्लसंद्रा, थनीसंद्रा, हुलिमावु, गोट्टीगेरे, आंजनापुरा, हसलूरु, हेण्णूर, कोरमंगला, करुबरहल्ली, ईजीपुरा जैसे निचले हिस्से में बड़े नालों के आस-पास के क्षेत्रों में थोड़ी सी बारिश भी कहर बरपा सकती है। इन क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि अब तो बारिश से डर लगने लगा है। शाम को बारिश शुरू होते ही यह लोग पूरी रात भर जागते रहते हैं क्योंकि किसी भी समय पानी घरों में घुस सकता है। तब पानी को बाहर करने में ही इनकी रात गुजर जाती है।
बड़े तथा छोटे नालों की सफाई गर्मियों में पूरी होनी चाहिए, लेकिन बीबीएमपी ने इस वर्ष भी सफाई का कार्य मई के दूसरे सप्ताह में शुरू किया। अब बारिश से पहले नालों की सफाई होना असंभव है।
इसलिए शहर के निवासियों के लिए 2019 की बारिश भी पहले जैसे हालात पैदा करेगी। थोड़ी सी बारिश से सड़कों, आवासीय क्षेत्र में पानी फैलेगा। यातायात जाम होगा, जानमाल का नुकसान भी हो सकता है।
मानसून के दौरान ओकलीपुरम, श्रीरामपुरम, ईजीपुरा, हलसूरु, दोड्डकल्लसंद्रा, बन्नेरघट्टा रोड के निकट स्थित अंडरपास में पानी भरना, घंटों यातायात बाधित होना आम बात है। सफाई पर एक वर्ष में 800 करोड़ रुपए खर्च
मौसम विज्ञान विभाग अगले सप्ताह बारिश दस्तक दे रही है, लेकिन नालों से गाद हटाने का कार्य पूरा नहीं होने से शहर को बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि प्रति वर्ष नालों की सफाई पर करीब 800 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं।
मौसम विज्ञान विभाग अगले सप्ताह बारिश दस्तक दे रही है, लेकिन नालों से गाद हटाने का कार्य पूरा नहीं होने से शहर को बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि प्रति वर्ष नालों की सफाई पर करीब 800 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं।
लोगों का असहयोग
एक ओर बीबीएमपी नालों की सफाई कर रहा है तो दूसरी ओर लोग इनमें कचरा फेंकने से बाज नहीं आते। इन नालों के आस-पास की बस्तियों में ढहाए गए भवनों का मलबा भी देर रात के समय इन नालों में ही डंप किया जा रहा है।
एक ओर बीबीएमपी नालों की सफाई कर रहा है तो दूसरी ओर लोग इनमें कचरा फेंकने से बाज नहीं आते। इन नालों के आस-पास की बस्तियों में ढहाए गए भवनों का मलबा भी देर रात के समय इन नालों में ही डंप किया जा रहा है।
बीबीएमपी का दावा है कि शहर में ऐसे लोगों पर निगरानी के किए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी ऐसे मामलों में ना सजा हुई है ना जुर्माना वसूला गया।
135 दिनों में 2 लाख टन गाद हटाने का दावा
बीबीएमपी के आयुक्त एन. मंजुनाथ प्रसाद के अनुसार शहर में बड़े नालों की लंबाई 842 किलोमीटर है। इनमें जमा गाद तथा कचरा हटाना आसान काम नहीं है। इनकी सफाई के बाद हजारों टन गाद तथा कचरा कहां पर डंप करना है?
बीबीएमपी के आयुक्त एन. मंजुनाथ प्रसाद के अनुसार शहर में बड़े नालों की लंबाई 842 किलोमीटर है। इनमें जमा गाद तथा कचरा हटाना आसान काम नहीं है। इनकी सफाई के बाद हजारों टन गाद तथा कचरा कहां पर डंप करना है?
यह भी समस्या की वास्तविक जड़ है। नालों की सफाई के अलावा इन नालों पर अतिक्रमण हटाने की चुनौती है। बीबीएमपी की ओर से नोटिस जारी करते ही यह लोग अदालत में जाकर स्थगनादेश ले आते हैं।
इस कारण से भी बड़े नालों की सफाई में देरी हो रही है। गत 135 दिनों में शहर के विभिन्न बड़े नालों की सफाई कर 2 लाख 30 हजार टन गाद हटाई गई है।
बीबीएमपी के सह आयुक्त एच. बालशेखर के मुताबिक राजराजेश्वरी नगर क्षेत्र में नालों की सफाई का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। नायंडहल्ली से लेकर बेंगलूरु विवि (ज्ञानभारती) के प्रवेश द्वार तक सफाई अभियान जारी है। यहां बड़े नालों पर कई अतिक्रमणों को ढहाया गया है।
बड़े नालों में कचरा फेंकने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बीबीएमपी के इस नाला सफाई अभियान के बावजूद शहर के बड़े नाले दो तीन घंटों की बारिश झेलने में भी सक्षम नहीं हैं। स्थानीय निकाय प्रशासन को इस वास्तविकता को स्वीकारना होगा।