उन्होंने शनिवार को बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) और शहरी विकास एवं मूलभूत ढांचागत विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्वच्छ भारत अभियान सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने ४३ लाख आवास के निर्माण के लिए अनुदान जारी किया है।
केन्द्र और राज्यों की सरकार के संयुक्त अनुदान से आवास निर्मित किए जा रहे है। भूमि की कमी के कारण सभी राज्यों में आवासीय कालोनियों को अधिक प्रमुखता दी जा रही है। साल २०३० तक लग भग ६० करोड़ लोग शहरी क्षेत्रों में बसने वाले हैं। अगले साल २०१९ तक प्रौद्योगिकी का भरपूर इस्तेमाल कर देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाई जाएगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के १५०वें जन्मदिवस तक सारा देश स्वच्छ होना है। इसके जरिए बापू को भावांजलि अर्पित की जाएगी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने कचरे से बिजली, गैस और खाद उत्पादन के इकाईयों को स्थापित कर अच्छा कार्य किया है। झीलों की रक्षा करने इसे प्रदूषित होने से बचाने के लिए दूषित जल प्रसंस्करण इकाईयों (एसटीपी) को स्थापित कर श्रेष्ठ कार्य है।
इसके अलावा कर्नाटक ने खुले में शौच खत्म करने में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा नकद पांच लाख रुपए दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कन्नड़ सीखने का शौक है। इसका कारण केवल इतना है कि उनकी पत्नी का संबंध इसी प्रदेश से है। उनकी पत्नी को कन्नड़ बहुत अच्छी आती है। अब अगली बार बेंगलूरु आएंगे तो कन्नड़ में जरूर बोलेंगे।
स्वच्छ सर्वेक्षण में छोटे शहरों से मिल रही चुनौती
इस अवसर पर बीबीएमपी के आयुक्त एन. मंजुनाथ प्रसाद ने कहा कि केन्द्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण समीक्षा में शामिल शहरों की संख्या अधिक हो रही है। गत वर्ष केवल ४३४ शहर मुकाबले में थे। अब इसकी संख्या ४०४१ होगई है। इस बार बेंगलूरु को श्रेष्ठ स्वच्छ शहर का पुरस्कार प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है।
साल २०१६ में ४३४ शहरों के साथ मुकाबले में बेंगलूरु को ३८वां स्थान प्राप्त था। उन्होंने कहा कि गत वर्ष २०१७ में अचानक २१०वां स्थान प्राप्त हुआ था। २०१५ में ग्यारहवांा स्थान प्राप्त हुआ था। दो लाख की जनसंख्या वाले शहर भी मुकाबले में उतर गए हैं। ऐसे में एक करोड़ की जनसंख्या वाले शहरों की स्थिति होगी। हर दिन कई टन कचरा संग्रहित करने वाले बेंगलूरु का इन शहरों के साथ मुकाबला करना कहां तक सही है। इन शहरों के साथ बेंगलूरु को सौवां स्थान बी प्राप्त होना असंभव है। उन्होंने कहा कि शहर की सनसंख्या १.२० करोड़ है।
यहां अधिक वाहन, अधिक यातायात समस्या, अधिक प्रदूषण और अन्य समस्याओं के कारण कचरा निस्तारण सही तरीके से नहीं हो रहा है। कचरे से गैस, खाद और बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिए बेंगलूरु में ग्यारह इकाईयों को स्थापित किया गया है। इससे पहले हरदीप सिंह पुरी ने माइन्ड ट्री संस्था के केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के सहयोग से तैैयार स्वच्छता ऐप जारी किया। इसके अलावा बीबीएमपी ने कचरे से बिजली का उत्पादन करने के लिए वेस्ट फ्रान्स और नेक्स नोवा कंपनी के साथ करार किया।