आचार्य भिक्षु ने तीन शताब्दी पूर्व बनाया था संविधान-साध्वी लावण्याश्री
मर्यादा और अनुशासन विषय पर कार्यक्रम
आचार्य भिक्षु ने तीन शताब्दी पूर्व बनाया था संविधान-साध्वी लावण्याश्री
बेंगलूरु. तेरापंथ भवन गांधीनगर में साध्वी लावण्याश्री के सान्निध्य में तेरापंथ का संविधान, मर्यादा और अनुशासन विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। साध्वी लावण्याश्री ने कहा तेरापंथ के नायक आचार्य भिक्षु ने अपनी अंतर प्रज्ञा से आज से 300 वर्ष पहले संविधान बनाया। इसका मुख्य आधार है सर्व साधु-साध्वियां एक आचार्य की आज्ञा में रहें। विहार, चातुर्मास आचार्य की आज्ञा से करें। ऐसी एक नहीं अनेक मर्यादाओं का निर्माण कर तेरापंथ के अनुशासन को और अधिक सुदृढ़ बनाया। आज भी तेरापंथ धर्म संघ में एक गुरु के नेतृत्व में सांत सौ से अधिक साधु साध्वी साधना, आराधना ,त्याग, तपस्या से अपने जीवन रूपी बाग को विकसित कर रहे हैं। हर महीने में 2 बार मर्यादाओं का वचन होता है। सभी साधु-साध्वी ,श्रावक-श्राविकाएं वर्तमान आचार्य महाश्रमण के नेतृत्व में विकास के पायदान तय कर रहे हैं। इस उपलक्ष मे साध्वी सिद्धांतश्री, साध्वी दर्शितप्रभा ने गण में अनुशासन दीप जलाया गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी के सान्निध्य में दीपक सेठिया ने 9 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। योसना, भुवि, माही परिन व सेठिया परिवार की बहनों ने तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया। तप की अनुमोदना तप के द्वारा उसमें अनेक भाई बहनों ने उपवास,एकासन, तेला, बेला से तप का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी दर्शितप्रभा ने किया ।
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