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बैंगलोर

धर्म से किसी को जोडऩा आसान काम नहीं-समकित मुनि

लोकाशाह जयंती मनाई

बैंगलोरNov 29, 2020 / 08:19 pm

Yogesh Sharma

धर्म से किसी को जोडऩा आसान काम नहीं-समकित मुनि

धर्म से किसी को जोडऩा आसान काम नहीं-समकित मुनि

बेंगलूरु. अशोक नगर शूले में विराजित श्रमण संघीय डॉ. समकित मुनि ने वीर लोकाशाह जयंती पर कहा कि जब तक ऋण नहीं चुकाया जाता तब तक मुक्ति प्राप्त नहीं होती। माता, पिता धर्माचार्य तथा पालन पोषण कर्ता के कर्ज को चुकाना आसान नहीं है। इस कर्ज को चुकाने के लिए धर्म की पूंजी लगती है। किसी को धर्म पुण्य से जोडक़र हम ऋण से मुक्त हो सकते हैं। धर्म से किसी को जोडऩा आसान काम नहीं है। कोई शक्ति सम्पन्न ही यह काम कर सकता है। जो धर्म से चलायमान नहीं होता वही शक्ति सम्पन्न कहलाता है। धर्म में दृढ रहने के लिए आंतरिक शक्ति की जरूरत होती है।
मुनि ने बताया खानपान से औदारिक मजबूत बन सकता है, परंतु तेजस और कार्मण रूपी सूक्ष्म शरीर खानपान से बलिष्ठ नहीं बनाया जा सकता। सूक्ष्म शरीर मजबूत न होने पर क्रांतिकारी कदम नहीं उठा पाते। वीर लोक शाह संत नहीं बने लेकिन वे ऐसे महापुरुष थे, जिनका आंतरिक बल इतना मजबूत था कि जिस समय शास्त्र विरुद्ध आचरण होने लगा था। लोगों को भ्रमित किया जा रहा था। यति धर्म का बोल बाला बढ़ गया था। तंत्र मंत्र के आधार पर श्रावक समाज भटक रहा था। ऐसे समय में आगमों में लिखे सत्य को पढ़ते हुए वीर लोकशाह का मन ऐसा आंदोलित हुआ कि उन्होंने प्राण प्रण लिया की जन जन तक आगम की सही जानकारी पहुंचनी चाहिए। उन्होने नुक्कड़ सभाओं का आयोजन कर लोगों को एकत्र कर उन्हें सत्य से परिचय कराया। उन्होंने धर्म के सही प्रचार के लिए लोका कच्छ की स्थापना की तथा ४५ व्यक्तियों को धर्म प्रचार के लिए दीक्षा देखकर आगे बढ़ाया। यतियों ने अपना भांडा फूटता देख वीर लोकशाह को मारने का निर्णय किया तथा किसी प्रकार सें विष मिश्रित भोजन के द्वारा उनकी हत्या की गई। उसके पश्चात लवऋषि ने लोक शाह के इस क्रांतिकारी कदम को आगे बढ़ाते हुए स्थानकवासी धर्म को जीवित कर उसमें प्राण फूंके तथा लोगों को सत्य से जोड़ा। मुनि ने कहा कि वीर लोकशाह ने ऐसी धर्म की क्रान्ति की कि स्थानकवासी के लिए वह धर्म प्राण बन गए। स्थानकवासी धर्म के पीछे न जाने कितने ही महापुरुषों ने जान की आहुति दी है। अनेक कष्टों से गुजरते हुए अनेक में महापुरुषों ने समय से पहले मौत को स्वीकार किया। आज के प्रवचन में राजाजीनगर एवं जयनगर संघ ने मुनि के समक्ष चातुर्मास की विनती रखी। संचालन संघ के मंत्री मनोहरलाल बंब ने किया। यह जानकारी प्रेम कुमार कोठारी ने दी।

राजाजीनगर में आगामी चातुर्मास की विनती
डॉ. समकित मुनि के समक्ष राजाजीनगर संघ के पदाधिकारी आगामी चातुर्मास की विनती करने पहुंचे। गुरुदेव के समक्ष मानदमंत्री प्रकाशचंद चानोदिया ने विनती पत्र का वाचन किया और उपस्थित सदस्यों ने विनती पत्र गुरुदेव को सौंपा। डॉ. समकित मुनि ने विनती को सुमति प्रकाश के पास भेजने की बात कही। विनती के समय राजाजीनगर से किशोरकुमार दलाल, प्रकाशचंद चानोदिया, पारसमल भलगट, मिश्रीमल कटारिया, मोतीलाल दलाल, गुलाबचंद पगारिया, जंबुकुमार दुगड़, नेमीचंद बाबेल, महावीरचंद डोशी, प्रसन भलगट, ज्ञानचंद लोढ़ा एवं मरुधर केसरी सेवा समिति के सुरेशचंद छल्लानी, रतनचंद सिंघी,गणपतराज रूणवाल,सुरेशचंद समदडिय़ा एवं सूले संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे।

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