महंगा होगा पेयजल, शुल्क में 35 फीसदी वृद्धि की मंशा
शहर के निवासियों को एक झटका देने के लिए बेंगलूरु शहर जलापूर्ति तथा मलजल निस्तारण निगम (बीडब्लूएसएसबी) ने पेयजलापूर्ति शुल्क में वृद्धि की तैयारियां शुरु की है।सोमवार को हुई निगम के निदेशकों की बैठक में पेयजलापूर्ति शुल्क में 35 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है।इस प्रस्ताव को अगर राज्य सरकार की मंजूरी मिलती है
महंगा होगा पेयजल, शुल्क में 35 फीसदी वृद्धि की मंशा
बेंगलूरु.शहर के निवासियों को एक झटका देने के लिए बेंगलूरु शहर जलापूर्ति तथा मलजल निस्तारण निगम (बीडब्लूएसएसबी) ने पेयजलापूर्ति शुल्क में वृद्धि की तैयारियां शुरु की है।सोमवार को हुई निगम के निदेशकों की बैठक में पेयजलापूर्ति शुल्क में 35 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है।इस प्रस्ताव को अगर राज्य सरकार की मंजूरी मिलती है तो आनेवाले दिनों में उपभोक्ताओं को अधिक पेयजलापूर्ति शुल्क का भूगतान करना होगा।
बढ़ रहा है निगम का निवर्हन खर्चा
निगम के अध्यक्ष तुषार गिरिनाथ के अनुसार निगम का खर्चा लगातार बढऩे के कारण यह वृद्धि अनिवार्य है।निगम का 80 फीसदी राजस्व बिजली आपूर्ति के शुल्क का भुगतान के लिए खर्च हो रहा है।निगम प्रति माह 110 करोड़ रुपए राजस्व में से 50 करोड़ रुपए बिजली शुल्क का भूगतान कर रहा है। इसके लिए निगम की विभिन्न योजनाओं के लिए गए ऋण के ब्याज का भूगतान की भी चुनौती है।गत पांच वर्षों से पेयजलापूर्तिका शुल्क यथावत है।पांच वर्षों के अंतराल के पश्चात शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जा रहा है इसलिए निगम को भरौसा है कि राज्य सरकार इस प्रस्ताव को मंजूर करेगी। पेयजलापूर्ति शुल्क में वृद्धि के साथ-साथ निगम ने राज्य सरकार को अन्य तीन विकल्पों का भी प्रस्ताव भेजा है।
छोटे उपभोक्ताओं पर असर नहीं
निगम का दावा है कि उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा पेयजलापूर्ति शुल्क अधिक नहीं है। साथ में पेयजलापूर्ति मात्रा के आधार पर पेयजलापूर्ति शुल्क का निर्धारण होने के कारण न्यूनतम पेयजल का उपयोग कर रहें है ऐसे उपभोक्ताओं पर इस शुल्क वृद्धि का कोई असर नहीं होगा।जो लोग अधिक मात्रा में पेयजल का उपयोग कर रहें है ऐसे उपभोक्ताओं पर ही इस शुल्क वृध्दि का असर होगा।इसके अलावा निगम शहर के विभिन्न झीलों में मलजल झीलों में समाहित न हो इस लिए यहां पर सीवर ट्रिटमेंट प्लांटस (सीटीपी) का निर्माण कर रहा है।इस योजना पर भी निगम करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। लिहाजा प्रति दो वर्षों के अंतराल में पेयजलापूर्ति का शुल्क बढ़ाना निगम के लिए अनिवार्य है।