पार्क के पूर्व समन्वयक सहित पार्क के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले बीयू के प्रोफेसर टी. जे. रेणुका प्रसाद ने कहा कि बीयू प्रशासन ने पूरे प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है। पार्क के जिस हिस्से से भूमि दी गई है वह 600 से ज्यादा लुप्तप्राय पेड़-पौधों का घर है। 148 प्रजातियों की तितलियां और करीब इतनी ही प्रजातियों के पक्षी पार्क में मंडराते रहते हैं। सैकड़ों मोर इस पार्क में रहते हैं। आवंटित जमीन के एक हिस्से में पेड़ों की कटाई का काम शुरू हो चुका है। वर्ष 2001 में इस हिस्से को पार्क में तब्दील किया गया था। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में बीयू के पूरे कैंपस को बायोडायवर्सिटी पार्क घोषित किया था। इसे ध्यान में रखते हुए 14 अतिरिक्त जैव पार्क पैच विकसित किए गए। पूरे पार्क में 1100 से ज्यादा लुप्तप्राय पेड़-पौधे हैं।
एनवायरनमेंंटल सोसाइटी ऑफ इंडिया और कर्नाटक वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने भी सरकार से इस पार्क को बचाने की अपील की। बीयू के कुलपति प्रो. के. आर. वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीएसइ के लिए दो एकड़ भूमि की मांग आई थी लेकिन 30 वर्ष के पट्टे पर एक एकड़ भूमि देने पर सहमति बनी है। अतिरिक्त 15 एकड़ भूमि योग विज्ञान विश्वविद्यालय के लिए है जो केंद्र सरकार की प्रोजेक्ट है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख 25 एकड़ जमीन मांगी है। लेकिन बीयू ने स्पष्ट किया है कि 15 एकड़ से ज्यादा देना संभव नहीं है। वे चाहते हैं कि शिक्षा के केंद्र के रूप में बीयू परिसर आगे बढ़े। उन्हें भरोसा है कि योग विज्ञान विश्वविद्यालय हरियाली बनाए रखेगा।