ग्रामीण मेले का लूफ्त उठाने के लिए बसवनगुडी तैयार
प्रति वर्ष कार्तिक माह के अंतिम सोमवार को आयोजित ‘कडलेकाई फरशे माने मूंगफली का मेला शहर के निवासियों को किसी ग्रामीण मेले की याद दिलाता है।इस अवसर पर यहां के बसवनगुडी क्षेत्र के बुल टेंपल रोड पर स्थित नंदी की विशालकाय एक शीला प्रतिमा को मूंगफली का भोग चढ़ाया जाता है।इतिहासकारों के मुताबिक इस मेले को 400 वर्षों की परंपरा है।
ग्रामीण मेले का लूफ्त उठाने के लिए बसवनगुडी तैयार
ग्रामीण मेले का लूफ्त उठाने के लिए बसवनगुडी तैयार
सोमवार को मूंगफली मेले का आगाज
बेंगलूरु.प्रति वर्ष कार्तिक माह के अंतिम सोमवार को आयोजित ‘कडलेकाई फरशे माने मूंगफली का मेला शहर के निवासियों को किसी ग्रामीण मेले की याद दिलाता है।इस अवसर पर यहां के बसवनगुडी क्षेत्र के बुल टेंपल रोड पर स्थित नंदी की विशालकाय एक शीला प्रतिमा को मूंगफली का भोग चढ़ाया जाता है।इतिहासकारों के मुताबिक इस मेले को 400 वर्षों की परंपरा है।
लगभग एक सप्ताह तक चलनेवाले इस अनूठे मेले में प्रति वर्ष हजारों श्रध्दालु विभिन्न किस्म की मूंगफली का लूफ्त उठाने के लिए पहुंचते है। बेंगलूरु ग्रामीण,कोलार,चिक्कबल्लापुर,चिंतामणी,रामनगर जिलों के किसान यहां मुंगफली लेकर पहुंचते है बताया जाता है कि मेले के दौरान 10 से 15 टन मूंगफली बेची जाती है।मंदिर के इस परिसर में मेले के दौरान विभिन्न किस्म के व्यंजन, खिलौैने के स्टाल्स सजाएं जाते है।शहर के आईटी बीटी कर्मचारी भी इस मेले में बडी संख्या में भाग लेते है।
शहर के संस्थापक नाडप्रभु केंपेगौडा के कार्यकाल मे भी इस मेले का आयोजन होता था।बेंगलूरु शहर के निवासियों के लिए नगरथ पेट का करगा महोत्सव तथा बसवनगुडी का मूंगफली मेला गत कई सदियों से श्रध्दा तथा आस्था का केंद्र बना हुआ है।बृहद बेंगलूरु महानगरपालिका की ओर से प्रति वर्ष इस मेले के लिए 50 लाख रुपए का अनुदान जारी किया जाता है।परंपरा के मुताबिक महापौर ही इस मेले का उद्घाटन करते है।