पाटिल ने राजनीतिक सफर जद-एस से शुरु किया था। बाद में वे कांग्रेस में चले गए और भाजपा के टिकट पर जीते हैं। पाटिल उन 13 अयोग्य विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें भाजपा ने उपचुनाव में टिकट दिया था।
पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे पाटिल तीन बार विधायक रह चुके हैं। पाटिल राज्य की तीनों प्रमुख पार्टियों के टिकट पर जीत चुके हैं। पाटिल पहली बार 2004 में जद-एस के टिकट जीते थे। 2008 में वे कांग्रेस के टिकट पर जीते लेकिन 2013 में कर्नाटक जनता पक्ष के यूबी बणकार से हार गए।
2018 में पाटिल ने भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे बणकार को सिर्फ 555 मतों से हराया। गठबंधन सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज पाटिल ने बागी हो गए और बाकी 16 विधायकों के साथ अयोग्य ठहरा दिए गए।