साइबर पुलिस के अनुसार जो लोग हवाई यात्रा का टिकट रद्द करवाते हैं, उनसे निर्धारित शुल्क काट कर शेष रकम बैंक खाते में जमा की जाती है। कई बार तकनीकी खराबी से रकम खाते में जमा होने में देरी होती है। कुछ ग्राहक इंतजार किए बगैर गूगल में एयरलाइंस कंपनियों का पता या कस्टमर केयर नंबर खोजते हैं। धोखाधड़ी करने वाले समूह के लोग कई वेबसाइट में एयरलाइंस कंपनी के वास्तविक कस्टमर केयर नंबर से इतर दूसरे नंबर फीड करते हैं। ग्राहक इन नंबरों पर संपर्क करते हैं तो कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति खुद को एयरलाइन्स कंपनियों का प्रतिनिधि बताता है। वह कुछ ही देर में रुपए लौटाने की बात कह कर ग्राहकों को भरमाते हैं। फिर लोगों से उनके एटीएम कार्ड का नंबर, इसकी अवधि और सीवीवी का विवरण प्राप्त कर लेते हैं।
फिर मोबाइल फोन पर आए ओटीपी लेते हैं और ऑनलाइन कारोबार या नकदी ट्रांसफर के जरिए रुपए लूटते हैं। बैंक खाते से रुपए काटे जाने पर ही ग्राहक धोखाधड़ी की जानकारी हो पाती है।
गूगल की मदद से हटवाते हैं नंबर
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार धोखेबाजों द्वारा फीड किए नंबरों को सर्वर से हटाने के लिए गूगल को ई-मेल के जरिए सूचना दी जाती रहती है। फिर भी धोखेबाज अलग-अलग वेबसाइट पर नंबर फीड कर देते हैं।
आम लोग खुद रहें सावधान
अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों को चाहिए कि एयरलाइंस के अलावा अन्य ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनियों से रुपए वापस लेने, भुगतान समेत किसी लेनदेन संबंधी गतिविधियों के दौरान सिर्फ संबंधित कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट का सहारा लें। इंटरनेट पर उपलब्ध मिलते-जुलते नाम वाली वेबसाइट, अथवा अन्य वेबसाइट में उपलब्ध नंबरों पर कतई संपर्क नहीं करें। किसी को बैंक खाते या एटीएम कार्ड का विवरण नहीं बताएं।