उन्होंने गुरुवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केवल महाराष्ट्र कर्नाटक ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवाद का स्थाई समाधान करने की अपील की है लेकिन प्रधानमंत्री ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। किसी ना किसी को इस समस्या का समाधान करने की पहल करना जरूरी है। उन्होंने यहां के मराठी भाषियों की महाराष्ट्र में विलय की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि एमइएस इस मांग को पूरी करने के लिए लोकतंत्र व्यवस्था में उपलब्ध सभी विकल्पों का उपयोग करते हुए शांति पूर्ण संघर्ष जारी रखेगी। यह संघर्ष केवल किसी चुनाव तक ही सीमित नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ने इस मामले को लेकर मराठी भाषियों के साथ न्याय नहीं किया है। एमइएस राज्य में एक छोटी पार्टी है लेकिन हम बेलगावी के महाराष्ट्र के साथ विलय की मांग को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे और मराठी भाषियों का यह सपना साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। बेलगावी (दक्षिण) क्षेत्र के 2.24 लाख में 1 लाख से अधिक मराठीभाषी मतदाता हैं। स्वास्थ्य कारण वे इस बार इस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे। यहां पर कौन प्रत्याशी होगा इसका फैसला पार्टी करेगी।
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विश्व लिंगायत परिषद के राजनीतिकरण पर बवाल
बेंगलूरु. विश्व लिंगायत परिषद की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील से परिषद में ही बगावत के सुर उठने लगे हैं। विश्व लिंगायत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष विधान परिषद सदस्य बसवराज होरट्टी ने हाल में माते महादेवी की इस अपील पर आपत्ति दर्ज करते हुए परिषद के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने की चेतावनी दी है।
होरट्टी ने यहां बताया विश्व लिंगायत परिषद की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को 16 अप्रेल को हुब्बली शहर में आयोजित समारोह में सम्मानित किए जाने के फैसले का भी वे विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मांग कोई राजनीतिक अभियान नहीं बल्कि लिंगायत समुदाय का मसला था। इसे सिर्फ कांग्रेस से जोडऩा तार्किक नहीं है। समुदाय का मसला होने के कारण इसमें लिंगायत समुदाय के नेताओं ने दलगत राजनीति से उपर उठकर भाग लिया। ऐसे में आगामी चुनाव में विश्व लिंगायत परिषद की कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील तार्किक नहीं है।