उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में देशद्रोह की व्याख्या बदली है। सीएए के खिलाफ बोलने पर कांग्रेस विधायक यूटी खादर और बीदर के स्कूल में ११ वर्षीय छात्रा और उसकी मां पर देशद्रोह का मामला दर्ज होता है। सीएए के खिलाफ कविता गाने पर दलित कवि पर मामला दर्ज होता है। लेकिन, उसी भाजपा सरकार जब संघ की ओर से संचालित स्कूल में बाबरी मस्जिद तोडऩे का मंचन होता है तो कोई कार्रवाई नहीं होती। जयमाला ने पूछा कि जब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मेंगलूरु का दौरा किया था तब जिन लोगों ने यूटी खादर के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया उनके खिलाफ राज्य सरकार क्यों चुप रही?
उन्होंने कहा कि मेंगलूरु फायरिंग में मृतकों के परिवारों को पहले सरकार ने 10 लाख रूपए मुआवजे की घोषणा की थी। लेकिन, किसी के दबाव में आकर घोषित मुआवजे का भुगतान रोका गया। राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है।
कांग्रेस सदस्य आरबी तिम्मापुर ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना देश के नागरिकों का अधिकार है। बेंगलूरु में प्रदर्शन करने वालों से पुलिस 10 लाख रुपए का सुरक्षा बांड मांगा रही है। विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए राज्य सरकार दमन की नीति अपना कर धारा 144 का दुरुपयोग कर रही है।
कांग्रेस के नजीर अहमद, केसी कोंडय्या, अल्लम वीरभद्रप्पा, यूबी वेंकटेश तथा प्रकाश राठोड़, जनता दल-एस के एमबी फारूक ने इस दौरान विभिन्न सवाल दागते हुए राज्य सरकार को घेरा।