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बैंगलोर

कांग्रेस के बिना संभव नहीं भाजपा का विकल्प: मोइली

लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा, कांग्रेस से अलग तीसरे मोर्चे के गठन की अटकलों पर केंद्रीय मंत्री एम.वीरप्पा मोइली ने कहा कि तीसरा मोर्च मृतप्राय है।

बैंगलोरMar 12, 2018 / 11:05 pm

शंकर शर्मा

Veerappa Moily

बेंगलूरु. अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा, कांग्रेस से अलग तीसरे मोर्चे के गठन की अटकलों पर केंद्रीय मंत्री एम.वीरप्पा मोइली ने कहा कि तीसरा मोर्च मृतप्राय है। केवल राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व में गठित पार्टियों का एक संघ ही भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला कर सकता है।


तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयासों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस के बिना भाजपा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। तीसरा मोर्चा मृतप्राय होगा। कांग्रेस पूरे देश में है और उसकी मौजूदगी को कोई नकार नहीं सकता। कांग्रेस के बिना कोई विकल्प कारगर साबित नहीं होगा।


उन्होंने कहा कि अगर कोई मोदी विरोधी मोर्चा भी बनता है तो कांग्रेस ही उसका नेतृत्व करेगी। अगर इतिहास में देखें तो बिना कांग्रेस के कोई भी तीसरा मोर्चा सफल नहीं हुआ। तीसरा मोर्चा भाजपा के दबाव के आगे टूट जाएगा और अंतत: उसका लाभ एनडीए को ही मिलेगा। इसलिए यह राष्ट्रीय पार्टी और क्षेत्रीय पार्टियों के गठजोड़ से बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक भाजपा से लडऩे के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों (क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय) को सिर झुकाकर एक दूसरे से मिल जाना चाहिए। अन्यथा यह देश चीन की तरह केवल एक ही पार्टी द्वारा शासित देश बन जाएगा।

सीएम को धार्मिक मामले में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं
केवल राजनीतिक लाभ के लिए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या लिंगायत तथा वीरशैव समुदायों के बीच खाई पैदा कर रहे हैं। किसी राजनेता को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। समुदाय को बांटने के ऐसे प्रयासों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। रंभापुरी पीठ के वरिष्ठ स्वामी वीरसोमेश्वर शिवाचार्य ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस प्रयास के विरोध में राज्य के विभिन्न मठों के प्रमुख स्वामी शीघ्र ही अदालत में याचिका दायर कर चुनौती देंगे। समुदाय को विभाजित करने वाली कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इस अपराध के लिए यह समुदाय कांग्रेस को माफ नहीं करेगा।


उन्होंने कहा कि आज तक राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री ने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का प्रयास नहीं किया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुझाव देने के लिए गठित समिति को 6 माह का समय दिया गया था लेकिन सरकार ने दबाव डालकर केवल 2 माह में रिपोर्ट बनवा ली। इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है।


उन्होंने कहा कि आबादी के अनुपात को देखते हुए लिंगायत समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक दर्ज की मांग नहीं कर सकता है। सरकार हस्तक्षेप न करे।

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