बैंगलोर

महादयी पर घिरी भाजपा अब निकालेगी रथ यात्रा

इस विवाद को सुलझा कर राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश का दांव उलटा पडऩे के कारण हुए राजनीतिक नुकसान को लेकर पार्टी चिंतित है

बैंगलोरDec 31, 2017 / 12:43 am

कुमार जीवेन्द्र झा

parivartan rally bengaluru

बेंगलूरु. महादयी जल बंटवारा विवाद को लेकर मुश्किल में घिरी भाजपा अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रथ यात्रा निकालने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि इस विवाद को सुलझा कर राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश का दांव उलटा पडऩे के कारण हुए राजनीतिक नुकसान को लेकर पार्टी चिंतित है और इसलिए महादयी रथ यात्रा की रणनीति बनाई गई है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के बाद ही रथ यात्रा को लेकर स्थिति साफ हो पाएगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि उत्तर कर्नाटक के चार जिलों में इस मसले पर ताजा विवाद के कारण पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। इस स्थिति को संभालने के लिए रथ यात्रा निकाली जाएगी जो कलसा-बंडूरी परियोजना से जुड़े चारों जिलों से गुजरेगा और लोगों को इस मसले को सुलझाने के लिए भाजपा की ओर से किए गए पहल के बारे में अवगत कराएगी। रथयात्रा के सहारे इस क्षेत्र में किसानों और लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करेगी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि संसद के शीतकालीन सत्र के समापन के बाद जनवरी में ही महादयी रथ यात्रा शुरु किए जाने का प्रस्ताव है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस रथ यात्रा का नेतृत्व पार्टी के बड़े नेताओं के बजाय स्थानीय प्रभावी नेता करेंगे। उन नेताओं को प्रमुख दी जाएगी जो किसान प्रकोष्ठ से हैं अथवा किसानों पर जिनकी अच्छी पकड़ हैं। यात्रा धारवाड़, बेलगावी, गदग और बागलकोट में निकाली जाएगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस मसले पर कांग्रेस के आक्रामक प्रहार का जवाब देने के लिए रथ यात्रा एक बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस मसले को सुलझाने के लिए अपने स्तर पर श्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन कांग्रेस ने पूरे मसले का राजनीतिकरण कर दिया।

गौरतलब है कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले सप्ताह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी एस येड्डियूरप्पा को पत्र लिखकर राज्य के साथ जल विवाद पर चर्चा करने की इच्छा जताई थी। पर्रिकर ने पत्र में कहा था कि गोवा पानी देने के लिए तैयार है लेकिन पानी की मात्रा बातचीत से तय होगी। हालांकि, भाजपा नेताओं के ही एक तबके का मानना है कि येड्डियूरप्पा ने सिर्फ पर्रिकर के पत्र के आधार पर किसानों से वादे कर पार्टी और अपने लिए राजनीतिक मुश्किलें बढ़ा ली। येड्डियूरप्पा से वादे के मुताबिक गोवा से पानी छोड़वाने की मांग को लेकर किसान कई दिन तक प्रदेश भाजपा कार्यालय के सामने धरना भी दे चुके हैं। 27 दिसम्बर को इस मसले पर आहूत उत्तर कर्नाटक बंद के दौरान कांगे्रस और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी एक-दूसरे के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया था।

जल्दीबाजी को लेकर खिंचाई कर सकते हैं शाह
प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि महादयी जैसे संवेदनशील मसले को गंभीरता से हल नहीं करने को लेकर शाह प्रदेश नेताओं की खिंचाई कर सकते हैं। पार्टी नेताओं की जल्दीबाजी के कारण विरोधी दलों को आक्रामक होने का मौका मिल गया और भाजपा को रक्षात्मक होना पड़ा।
गौरतलब है कि गुजरात चुनाव के ठीक बाद दशकों से लंबित इस विवाद को सुलझाकर राजनीतिक लाभ लेने की पार्टी आलाकमान की कोशिश प्रदेश के नेताओं की जल्दबाजी के कारण उल्टा पड़ गया। भाजपा आलाकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए कर्नाटक और गोवा के नेताओं की बैठक दिल्ली में बुलाई थी। शाह ने बैठक में पार्टी शासित गोवा के नेताओं को कर्नाटक को पेयजल के लिए पानी देने के लिए कहा था ताकि अगले चुनाव में कर्नाटक में पार्टी को इसका फायदा मिल सके लेकिन राजनीतिक श्रेय लेने की जल्दीबाजी में कर्नाटक के नेताओं ने मीडिया को यह बात दी कि गोवा के पार्टी नेताओं के साथ उनकी बातचीत सार्थक रही और अगले दिन हुब्बल्ली में होने वाली परिवर्तन रैली में इसकी घोषणा करने की बात कही। अगले दिन सुबह गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह बयान दे दिया कि गोवा अपने हितों से समझौता नहीं करेगा और पानी देने के बारे में वे मंत्रियों से चर्चा के बाद ही कुछ कहेंगे। पर्रिकर से इस बयान के कारण जहां भाजपा बैकफुट पर आ गई वहीं सत्तारुढ़ कांग्रेस और जद ध हमलावर हो गई। हालांकि, दांव उलटा पड़ता देखकर प्रदेश भाजपा नेताओं ने हुब्बल्ली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली से कुछ समय पहले ही पर्रिकर से येड्डियूरप्पा के नाम लिखा पत्र मीडिया को जारी कर स्थिति को संभालने की कोशिश। येड्डियूरप्पा ने रैली में इस पत्र को पढ़ा भी लेकिन तब तक पार्टी को राजनीतिक नुकसान हो चुका था। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के बजाय पर्रिकर के येड्डियूरप्पा को पत्र लिखकर पानी देने पर सैद्धांतिक सहमति जताने पर सवाल उठाया तो येड्डियूरप्पा ने पर्रिकर के खुद को लिखे पत्र के आधार पर पंचाट में अपील दायर करने की मांग सरकार से करके कांग्रेस को हमला जारी रखने का मौका दे दिया।

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