पाप भले ही अज्ञानता में किए हों उसका भी फल भोगना पड़ता है। मुनि ने ‘जैसा बोएंगे, वैसा ही पाएंगे…, जैसी करनी वैसी भरणी…बोए बीज बबूल के आम कहां से होए…Ó गीतिका से पाप-पुण्य का बहुत ही सुंदर विवेचन किया। रविवार को प्रात: 7.30 बजे जैन ध्यान योग साधना शिविर, 10 बजे आध्यात्मिक ज्ञान ध्यान संस्कार शिविर व दोपहर 2.30 बजे पारिवारिक संस्कार पर प्रवचन होगा।
सबसे श्रेष्ठ तप है ब्रह्मचर्य
बेंगलूरु. राजाजीनगर में साध्वी संयमलता ने कहा कि सबसे श्रेष्ठ तप ब्रह्मचर्य है। तृप्ति भोग में नहीं, त्याग में है। जीवन ऊर्जा को भोग में नहीं, आत्मा साधना में लगाएं। भोगी पुरुष सदा रोगी ही बना रहता है, वह कभी भी योगी और सुखी नहीं हो सकता। कामी पुरुष जीते जी मुर्दा बन जाता है। वासनाओं के प्रति इतना लगाव होना बर्बादी का ही कारण होता है। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कहा कि क्रोध हमेशा दूसरों की गलतियों पर आता है, कमजोर पर आता है, बलवान के आगे झुक जाता है। सरला दुग्गड़ ने 16 उपवास, मनीष कुकड़ा के 8 उपवास पर संघ द्वारा बहुमान किया गया।
प्रश्न मंच में महिलाओं ने जोश से की भागीदारी
बेंगलूरु. गोडवाड़ भवन में महिला जैन कान्फ्रेंस के तत्वावधान में रमणीक मुनि के सान्निध्य में प्रश्न मंच प्रतियोगिता आयोजित की गई।
ज्ञानवर्धक प्रतियोगिता में 64 महिलाओं ने भाग लिया। विजेताओं को पुरस्कार बांटे गए। सुमन मेहता, प्रेमा बोहरा, रसीला मरलेचा, पूनम बोहरा, आरती बुरड़ ने विभिन्न व्यवस्थाओं में सहयोग किया। प्रश्न मंच के बाद तपस्वियों के लिए मंगलमय गीतों का कार्यक्रम चिकपेट महिला शाखा द्वारा किया गया। संचालन अध्यक्ष संतोष बोहरा, मंत्री इंद्रा चेलावत ने किया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया।