धारवाड़ में पत्रकारों से बातचीत में विधायक देसाई ने कहा कि भवन गिरने से गरीब मजदूरों की जान गई है जिससे कई परिवार बेसहारा हो गए हैं। कईयों ने ऋण लेकर भवन में दुकान खरीदा था। और कुछ लोगों ने भवन में दुकानों को किराए पर लेकर होटल, कम्प्यूटर, पेंट, मेडिकल शॉप, क्लिनिक, फर्नीचर आदि दुकानों समेत 20 से अधिक दुकानें चल रही थी। कुछ लोग तो अपने सेवानिवृत्त होने के पश्चात आने वाली जमा पूंजी को निवेश कर दुकान खोला था।
आशीश हिरेमठ तथा महेश्वरय्या हिरेमठ पुत्र और पिता ने यहां पर अपने जीवन की जमा राशि को यहां पर दुकान खरीदने में निवेश किया था। भवन गिरने से पिता और पुत्र दोनों की मौत हो गई। इससे परिवार में कमाने वाले पुरुष ही नहीं रह गए जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
देसाई ने कहा कि सरकार की ओर से मामले की जांच होनी चाहिए। घटिया गुणवत्ता वाले भवन निर्माण करने वाले भवन मालिक तथा भवन निर्माण के लिए अनुमति दिए गए निगम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर संबंधितों को न्याय दिलाना चाहिए।
दस लाख रुपए हो मुआवजा
विधायक देसाई ने कहा कि भवन ढहने से जान गंवाने वालों के मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए तथा घायलों को 2 से 5 लाख रुपए मुआवजा देना चाहिए। किराए पर दुकान लेकर उस दुकान में लाखों रुपए निवेश करने वाले मालिकों को मुआवजा देना चाहिए। दुकान खरीद करने वालों की संपूर्ण राशि लौटानी चाहिए। देसाई ने कहा कि भवन हादसा होकर एक सप्ताह बीतने के बावजूद अभी तक नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। जितनी जल्दी हो सके निगम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कडी कार्रवाई करनी चाहिए। इस बारे में राज्य सरकार तथा पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा गया है।
उन्होंने कहा कि शीघ्र ही निराश्रित परिवारों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी। बाद में सभी निराश्रितों की बैठक बुलाकर उनके परिवार की क्षति संबंधित चर्चा कर आगामी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस दिशा में कानूनी संघर्ष भी किया जाएगा। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की ओर से इस मामले की जांच करवानी चाहिए। दंडाधिकारी की जांच से सच्चाई सामने नहीं आ सकती।
उन्होंने कहा कि मृत्यु में भी राजनीति मिलाना अच्छा नहीं है। भवन मालिक भाजपा के हैं या कांग्रेस पार्टी के, इसकी जरूरत नहीं है। इसमें दोषी पाए जाने वालों को सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए। भाजपा नेता संगनगौडा रामनगौडर, नागराज गाणगेर, शरणु अंगडी आदि उपस्थित थे।