प्याज उत्पादक किसानों के मुताबिक एक एकड़ भूमि में प्याज लगाने पर 50-60 हजार रुपए खर्च आता है। एक एकड़ में 12 से 14 टन प्याज का उत्पादन संभव है। इससे पहले 1600 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल प्याज का खरीदी मूल्य अब 1000 रुपए प्रति क्विंटल तक गिरने से किसान चिंतित हैं।
जिले में बेंगलूरु गुलाबी (अर्कबिंदू)किस्म के प्याज का अधिक उत्पादन किया जाता है। स्थानीय लोग इसका उपयोग नहीं करते। लिहाजा उत्पादित 95 फीसदी प्याज चेन्नई की मंडी में भेजा जाता है। चेन्नई की प्याज मंडी से यह प्याज मलेशिया, थाइलैंड, सिंगापुर भेजा जाता है। यह प्याज चेन्नई मंडी में भेजने के लिए किसान स्थानीय डीलर्स पर निर्भर हैं।
हादसों को दावत देते खुले मेनहोल
हुब्बल्ली. शहर की सडक़ों पर जगह-जगह मूंह खोले खुले मेनहोल के कारण वाहन चालकों, राहगिरों को जान हथेली पर लेकर गुजरना पड़ रहा है। ऐसी ही स्थिति नेहरु स्टेडियम के पास से होकर गुजरनेवाली सडक़ पर बने मेनहोल से निर्माण हुई है। मेनहोल पूरी तरह ढह गया है और हादसों को दावत दे रहा है।
इस अव्यवस्था के बीच ही वाहन चालक, राहगिर गुजर रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि इस बारे में महानगर निगम को कई बार ज्ञापन सौंपने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। डामरीकरण के दौरान एक बार सडक़ खोदी गई थी। वह कुछ ही दिनों में उखड़ गई। भूमिगत मलजल निकासी प्रणाली निर्माण के लिए सडक़ को फिर से खोदा गया। अब मेनहोल पूरी तरह टूट गया है। आए दिन मेनहोल भर कर उफनने पर बदबू सहना मजबूरी बन गई है।
नगर निगम की लापरवाही
स्थानीय निवासी विनायक पवार का कहना है कि हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम से शिकायत करने पर मेनहोल का कचरा हटाया गया था। अब फिर से यही समस्या पेश आई है। मेनहोल ढहने से गड्ढ़ा बन गया है। इसके चारों ओर लोहे के सरिए नजर आ रहे हैं। रात्रि के समय यह नजर नहीं आते हैं। इसके चलते कई लोग गिरकर घायल हुए हैं। मेनहोल टूटने के बारे में एक बोर्ड तक नहीं लगाया है।
स्मार्टसिटी नहीं बने कोई फर्क नहीं पड़ेगा परन्तु न्यूनतम मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करना चाहिए। बारिश होने पर कचरा दुकानों में आता है। कई बार दुकानों को ही बंद करना पड़ता है। महानगर निगम की लापरवाही से प्रतिदिन समस्या झेलनी पड़ रही है।