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बैंगलोर

घर में रहकर मनाएं महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव

नवपद की ओली का छठा दिन

बैंगलोरApr 05, 2020 / 03:02 pm

Yogesh Sharma

घर में रहकर मनाएं महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव

घर में रहकर मनाएं महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव

बेंगलूरु. नवपद की ओली के छठे दिन आचार्य देवेंद्रसागर ने सम्यकदर्शन पद पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान महावीर ने सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र को मोक्ष का मार्ग बताया है। दर्शन के बिना ज्ञान नहीं होगा व ज्ञान के बिना चारित्र नहीं होगा। लेकिन हम मात्र चारित्र को महत्व दे रहे हैं। मोक्ष मार्ग की साधना में यदि सम्यक दर्शन होगा तो चारित्र शृंगार बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिसे सम्यक दर्शन हो जाता है वह जड़-चेतन के भेद को भलीभांति जान जाता है। उसे शरीर और शरीर के साथ जुड़े हुए सम्बन्धों की नश्वरता का सदैव भान रहता है। संसार की वास्तविकता को समझने के लिए हमें परमात्मा के वचनों से प्रेम करना होगा। जो सुख में लीन और दुख में दीन नहीं बनता वही सम्यकत्वी है। आज जो हमारा पुण्य चमक रहा है वह कल अस्त भी हो जाएगा। सम्यक दर्शन ही मोक्ष का मार्ग है
सम्यक दृष्टा व्यक्ति कि अपने देव, गुरु और धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा होती है। देव और गुरु के प्रति हमारी श्रद्धा, भक्ति और समर्पण हो तो उनका एक वचन भी हमारे जीवन को तारने में सक्षम हो जाता है। गुरु के प्रति श्रद्धा, समर्पण ने एकलव्य ने गुरु प्रतिमा के समक्ष धनुर्विद्या में निपुण बना दिया। आज सम्यक दर्शन पद की आराधना करते हुए हम देव, गुरु और धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखकर यह प्रार्थना करें कि हमारी श्रद्धा सदैव अटूट बनी रहे।
धर्म पर हमारी दृढ़ श्रद्धा-आस्था टिकी रहे। ऐसा सम्यक दर्शन हममें स्थिर रूप सदैव विद्यमान रहे, प्रभु और गुरु के प्रति श्रद्धा जिसकी होती है, उसके जीवन में अनेक सद्गुण स्वत: आ जाते हैं। अज्ञानता चली जाती है। जड़-चेतन के भेद ज्ञान को जानने वाला सम्यक दृष्टा संसार में रहकर भी संसार से सदा अलिप्त रहता है। वह जहां भी जाता है, पापों को जलाने, नष्ट करने का कार्य करता है, हिंसा और दुगुर्णों में वह कभी लिप्त नहीं रहता। हमें सम्यक दर्शन की प्राप्ति के लिए अपना पुरुषार्थ, परिश्रम करना चाहिए। यह तभी प्राप्त होगा, जब हमारी श्रद्धा देव, गुरु और धर्म के प्रति सच्ची होगी। जो भगवान ने कहा, जो पर्यूपणा की, वही पूर्णत: सत्य है, ऐसी आस्था-श्रद्धा हम सबकी बनी रहे।
आचाय ने कहा की अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने छब्बीस सौ वर्ष पूर्व हमें अहिंसा का सन्देश दिया। विश्व का हर प्राणी मात्र जीवन को सुखपूर्वक जीना चाहता है। यह सुखपूर्वक जीने के लिए प्रत्येक प्राणी को मानव बनना होगा। मानव धर्म का प्रतिनिधित्व यदि कोई करता है तो वह अहिंसा परमो धर्म ही है। अहिंसा के सिद्धांत की आवश्यकता आज सबसे ज्यादा प्रासंगिक हो गई है। आज आवश्यक है हम एकजुट हों, एकजुटता से हम भगवान महावीर को स्मरण करें और परमात्मा महावीर स्वामी का आज जन्म कल्याणक महोत्सव वर्तमान में चल रहे कोरोना संक्रमण के चलते अपने घर पर रहकर मनाए। भगवान के जन्म कल्याणक दिवस पर सुबह घरों के बाहर रंगोली,मुख्य द्वार पर भगवान महावीर का स्तुति स्तवना करते हुए प्रार्थना करें।

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