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बैंगलोर

उत्सव: भंवर म्हाने पूजण द्यो गणगौर

प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने मंगलवार को आस्था के साथ सोलह दिवसीय गणगौर पूजा कर मंगल गीत गाकर सोलह दिवसीय गणगौर पूजा संपन्न की

बैंगलोरMar 21, 2018 / 01:20 am

Ram Naresh Gautam

gangaur
बेंगलूरु. प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने मंगलवार को आस्था के साथ इसर, मालन, गौरा, बानो व रेवा की छोटी-छोटी प्रतिमाओं की पूजा कर मंगल गीत गाकर सोलह दिवसीय गणगौर पूजा संपन्न की। इस मौके पर अनेक समाजों की महिलाओं ने गणगौर उद्यापन किए।
माहेश्वरी महिला मंडल की ओर से ओकलीपुरम स्थित माहेश्वरी भवन में गणगौर का सामूहिक उद्यापन किया गया। दो सौ से ज्यादा महिलाएं सजधज कर पहुंचीं और गणगौर की सामूहिक पूजा-अर्चना की। कहानी सुनी-सुनाई। नव विवाहिताओं, किशोरियों ने आस्था के साथ इसर, मालन, गौरा, बानो व रेवा की छोटी-छोटी प्रतिमाओं को दूध, 16 कुओं के जल, फल-फूल आदि से पूजन कर मंगल गीत गाए। सोलह शृंगार के साथ पारंपरिक परिधान पहनें महिलाओं को देखते ही ऐसे लग रहा था जैसे राजस्थान की संस्कृति साकार हुई है।
माहेश्वरी महिला मंडल की सुरभि समिति की ओर से आयोजित गणगौर का सिंजारा कार्यक्रम में अध्यक्ष सुशीला बागड़ी, अखिल भारतीय महिला संगठन की दक्षिणांचल सह सचिव प्रकाश मूंदड़ा, सलाहकार सावित्री मालू, बिमला साबू, पुष्पा सारडा, सचिव श्वेता बियाणी ने गणगौर पूजा की। इस मौके पर हुलासी देवी रांदड़ को शॉल ओढ़ाकर वयोवृद्ध सम्मान प्रदान किया गया। साथ ही, तारा नेत्रालय संस्थान, उदयपुर को वृद्धाश्रम में रहने वाली वृद्धाओं के आंख के ऑपरेशन के लिए २१ हजार रुपए अनुदान दिया। कवियित्री सम्मेलन में सरोजा व्यास, लता चौहान, सुनीता सैनी, निमिषा लड्डा, मनीषा पलोड़ ने हास्य व्यंग्य कविताओं से सभी का मन मोह लिया। संचालन कवि प्रतीक पलोड़ ने किया। महिलाओं ने घूमर नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। आभार सह सचिव विजयलक्ष्मी सारडा ने जताया।
मारवाड़ी युवा मंच की जागृति शाखा की ओर से जयनगर स्थित अग्रवाल भवन में गणेश वंदना से शुरू हुए गणगौर सिंजारा कार्यक्रम में अध्यक्ष रीना मित्तल ने कहा कि त्यौहार हमारी संस्कृति की पहचान हंै। सरिता लखानी ने त्यौहारों का महत्व बताया। कोषाध्यक्ष ममता सर्राफ ने आगामी कार्यक्रम ‘अमृतधाराÓ की जानकारी दी। आभार सचिव सीमा जाजोदिया ने जताया।
कुडलू गेट में प्रवासी राजस्थानी महिलाओं ने परंपरानुसार गणगौर की पूजा की। मारवाड़ी समुदाय की नवविवाहिताओं, किशोरियों ने आस्था के साथ इसर, मालन, गौरा, बानो व रेवा की छोटी-छोटी प्रतिमाओं को दूध, १६ कुओं के जल, फल-फूल आदि से पूजन कर मंगल गीत गाकर सोलह दिवसीय गणगौर पूजा का समापन किया। श्रद्धालु महिलाओं ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर अगले वर्ष गणगौर को आने का आमंत्रण दिया। दोपहर बाद गणगौर प्रतिमाओं का नदी, तालाब में विसर्जन किया गया।
मण्ड्या के वीवी रोड स्थित अशोक नगर में राजस्थानी प्रवासी महिलाओं ने इसर गणगौर का पूजन किया। घर की दीवार पर गणगौर का चित्र लगाकर मेहंदी, सिंदूर, काजल, घी की सोलह बिंदी व मोली बांधकर बारी-बारी पूजा-अर्चना व आरती की। महिलाएं सिर पर कलश रखकर समूह में भंवर माणे पूजन दो गणगौर…सहेलियां जोवे बाट….गीत गाते हुए गांधीनगर के गुरु राघवेंद्रा स्वामी मंदिर पहुंचीं। पीपल वृक्ष को मोली बांधी।
मैसूरु में जनता नगर स्थित मंदिर में सुहागिन राजस्थानी महिलाओं ने सुहाग की दीर्घायु की मंगल कामनाएं कर इसर गणगौर की आस्था के साथ पूजा-अर्चना की। सजधज कर कलश व पूजा का थाले थामे महिलाएं महिलाएं मंदिर पहुंचीं। सोलह-सोलह दूब दोनों हाथ में लेकर अपने साथ पूजा करने वाली अन्य महिलाओं के साथ जोड़ा बनाया गया तथा गणगौर गीत गाया। कतार बनाकर पीपल वृक्ष की परिक्रमा लगाते हुए उसके तने पर सूत का धागा लपेटते हुए मंगलगीत गाए।
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