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बैंगलोर

राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में केंद्र का अतिक्रमण : सिद्धरामय्या

पूरे देश में आक्रोश क्रांति की संभावना

बैंगलोरOct 11, 2020 / 09:29 pm

Sanjay Kulkarni

राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में केंद्र का अतिक्रमण : सिद्धरामय्या

राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में केंद्र का अतिक्रमण : सिद्धरामय्या

मण्डया. केंद्र सरकार कई मामलों में राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में अतिक्रमण कर रही है। केंद्र सरकार की यह मानसिकता देश की संघीय ढांचे के लिए घातक साबित होगी। नेता प्रतिपक्ष सिद्धरामय्या ने यह बात कही।डॉ अंबेडकर भवन में को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति की ओर से आयोजित किसान सम्मेलन में उन्होंने कहा कि हाल में केंद्र तथा राज्य सरकार ने कृषि सुधार के नाम पर कृषि तथा किसानों के लिए नुकसानदेह संशोधन किए हैं। श्रम कानून में बदलाव कर श्रमिकों के हितों को तिलांजलि दे दी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गृह मंत्रालय के माध्यम से राज्य के मुख्य सचिवों के साथ संवाद कर किसी भी हाल में कृषि उपज विपणन मंडी (एपीएमसी) श्रम विभाग के कानून में बदलाव लाने के लिए दवाब बना रही है। केंद्र सरकार के ऐसे एकपक्षीय तानाशाही जैसे बरताव को लेकर पूरे देश में आक्रोश व्याप्त है। केंद्र सरकार संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार कर रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अगर देश के संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का दुस्साहस करती है तो कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी। भाजपा हमेशा किसानों की विरोधी रही है। सत्ता के बूते भाजपा कृषि उपज मंडियों को कार्पोरेट क्षेत्रों के हवाले करने की साजिश कर रही है।
इससे पहले राज्य के प्रभारी रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि कृषि सुधार के नाम पर किसानों से धोखाधड़ी की जा रही है। कानून में बदलाव लाकर किसानों की बली चढ़ाई जा रही है। कृषि तथा किसानों के लिए घातक साबित होने वाले इन बदलाव का कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी तथा किसानों के बीच जाकर केंद्र तथा राज्य सरकार की मंशा का पर्दाफाश करेगी।
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में पहली बार सत्ता ग्रहण की तब भी सबसे पहले किसानों पर ही निशाना साधा गया था। कृषि उपज विपणन कानून में लाया गया बदलाव इतना घातक है कि छोटे किसानों को उपज का विपणन करना ही संभव नहीं होगा। किसानों के हितों की रक्षा के लिए बनी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को ही तहस-नहस किया जा रहा है। किसान अब कार्पोरेट क्षेत्र की मेहरबानी पर निर्भर होंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले संप्रग सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों की राहत के लिए कई योजनाएं शुरू की थीं। लेकिन अब केंद्र सरकार गन्ना उत्पादक किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि केंद्र सरकार का हर फैसला विवादों के घेरे में है। विद्यार्थी, किसान, युवा, महिलाएं, दलित शोषित समुदाय, छोटे उद्यमी, कोई भी तबका केंद्र सरकार की योजनाओं से संतुष्ट नहीं है।

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