बैठक में 1942 के कॉफी अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और उन प्रावधानों को हटाने का निर्णय किया गया जो रुकावटें पैदा करती हैं। एक सरल कानून लाया जाएगा जो कॉफी क्षेत्र की वर्तमान जरूरतों के अनुकूल हो और इसके विकास को सुविधाजनक बना सके। मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया कि सरफेसी अधिनियम के तहत अपनी जमीन खोने की उनकी चिंताओं को अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ उठाएंगे और जल्द से जल्द एक उपयुक्त समाधान निकाला जाएगा। कृषि निर्यातकों को वर्तमान संकट से निकालने के लिए टीएमए योजना के तहत एक विशेष पैकेज देने पर विचार किया जाएगा जो कम-से-कम एक वर्ष तक के लिए होगा। कई निर्यातकों ने चिंता जताई कि अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई दरों में वृद्धि के कारण कई देशों में भारतीय कृषि-निर्यात प्रतिस्पद्र्धा से बाहर हो गया है। अगर सरकार परिवहन और विपणन सहायता योजना (टीएमए) के तहत कृषि-निर्यातकों को मदद नहीं पहुंचाती है तो भारत कृषि निर्यात के लिए कई बाजारों को हमेशा के लिए खो सकता है।
गोयल ने उत्पादकों को आश्वासन दिया कि कॉफी व्हाइट स्टेम बोरर पर उन्नत शोध के लिए कृषि विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) से अनुरोध किया जाएगा। बैठक में कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष ने गोयल से अनुरोध किया कि वे सभी मौजूदा ऋणों को लंबी भुगतान अवधि के साथ एकल अवधि के ऋण में पुनर्गठित करने की घोषणा करें। साथ ही कम ब्याज के साथ नई कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराएं। मंत्री ने कॉफी बोर्ड को निर्देश दिया कि एक डैश बोर्ड तैयार करें जिसमें किसानों के खेतों में कर्मियों द्वारा किए जाने वाले क्षेत्र के दौरे, कार्यशालाओं, प्रदर्शनों, संगोष्ठियों आदि गतिविधियों का ब्यौरा वास्तविक समय में दर्ज हो।