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बैंगलोर

चातुर्मास मन को साधने का मौका :देवेंद्रसागर

राजाजीनगर में प्रवचन

बैंगलोरJul 05, 2020 / 10:24 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन संघ राजाजीनगर में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी की निश्रा में चातुर्मास प्रारंभ हुआ। आचार्य ने ऑनलाइन प्रवचन के माध्यम से चातुर्मास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सनातन एवं जैन धर्म में चातुर्मास यानी चौमासे में आहार-शुद्धि व एकांत तपश्चर्या का विशेष माहात्य माना गया है।
वर्षायोग के दौरान पर्यावरण, भोजन व जल इत्यादि में हानिकारक बैक्टीरिया की तादाद स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। दूसरी ओर इस मौसम में हमारी जठराग्नि यानी पाचन शक्ति भी मंद पड़ जाती है। इसलिए धार्मिक अनुष्ठान व आध्यात्मिक प्रयोजन के साथ-साथ चातुर्मास में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध-सात्विक भोजन, अल्पाहार एवं व्रत-उपवास का पालन करना अत्यंत लाभकारी है।
चातुर्मास के चार महीनों के दौरान जैन मुनि किसी स्थान-विशेष पर ठहरकर उपवास, मौन-व्रत, ध्यान-साधना, एकांतवास और नवधाभक्ति करते हैं। ‘उपवासÓ परमात्मा के निकट पहुंचने की एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी शुरुआत चातुर्मास के दौरान हरेक साधक अपने सबसे समीपवर्ती स्थूल-घटक भोजन पर विजय पाकर करता है।
दरअसल, व्रत-उपवास मन की चंचलता को साधते हुए आत्मनिष्ठ होने की पद्धति है। मन की चंचलता क्षीण होते ही साधक को परमात्मा का प्रकाश दिखाई देने लगता है।

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