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बैंगलोर

चंद्रयान-2 के आर्बिटर से मिली पहली अच्छी खबर, की यह खोज

पृथ्वी के चुंबकीय मंडल में plasma पर नई खोज, चांद के सतह lunar surface पर धात्विक तत्वों की मौजूदगी पर भी पड़ेगा प्रकाश

बैंगलोरOct 03, 2019 / 10:07 pm

Rajeev Mishra

चंद्रयान-2 के आर्बिटर से मिली पहली अच्छी खबर, किया यह खोज

चंद्रयान-2 के आर्बिटर से मिली पहली अच्छी खबर, किया यह खोज

बेंगलूरु. चंद्रयान-2 मिशन से पहली अच्छी खबर आई है। चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहे चंद्रयान-2 के आर्बिटर ने पृथ्वी के चुंबकीय मंडल (जियोटेल) में प्लाज्मा पर एक नई खोज की है। यह खोज तब हुई जब चंद्रमा, धरती और सूर्य एक सीध में थे।
दरअसल, आर्बिटर ने पृथ्वी के चुंबकीय मंडल में प्लाज्मा की मौजूदगी के संकेत दर्ज कर लिए हैं। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के आर्बिटर के विभिन्न उपकरण सुचारू रूप से काम कर रहे हैं और इसरो के इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) से लगातार संपर्क बना हुआ है। ऐसे में चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए आर्बिटर के विभिन्न उपकरणों से आंकड़े मिलने शुरू हो गए हैं। फिलहाल, आर्बिटर के जरिए उस विशिष्ट स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में अग्रसर सूर्य और पृथ्वी की सीध में होता है। आर्बिटर के उपकरणों से ऐसी स्थिति में पृथ्वी के चुंबकीय मंडल पर महत्वपूर्ण प्रकाश पडऩे की संभावना है।
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि सूर्य का कॅरोना अत्यंत विरल और बेहद गर्म आयनित कणों का वातावरण है और उसकी ओर से सौरमंडल में उच्च ऊर्जा के आवेशित कण (इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन आदि) फैलते हैं। इसे सौर वायु का नाम दिया गया है। पृथ्वी तक पहुंचते-पहुंचते इस फैलती हुई इस आयनित गैस की गति लगभग 500 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है। चूंकि, पृथ्वी का अपना भी चुंबकीय क्षेत्र है इसलिए सौर वायु के ये कण पृथ्वी का एक चुंबकीय मंडल बना देते हैं। सूर्य की दिशा में यह मंडल दबाव महसूस करता है किंतु विपरीत दिशा में यह फैल जाता है जिसे जियोटेल या पृथ्वी पुच्छ नाम दिया गया है। पूर्णिमा के आसपास की स्थिति होने पर चंद्रमा इसी क्षेत्र से गुजरता है।
उस समय मिले प्लाज्मा जब सूर्य शांत है
इसरो ने कहा है कि सितम्बर महीने में आर्बिटर के विशेष उपकरण ‘क्लास’ (चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) ने जियोटेल के भीतर प्लाज्मा की मौजूदगी के संकेत दर्ज कर लिए हैं। यह उस समय हुआ जब सूर्य किसी अन्य समय के मुकाबले शांत अवस्था में है। सौर सक्रियता के चिन्ह हैं, सूर्य की सतह पर देखे जाने वाले सौर कलंक या सौर धब्बे जो पिछले काफी समय से सूर्य पर नजर नहीं आ रहे। इसके बावजूद जियोटेल में आशा से कहीं अधिक परिमाण में प्लाज्मा की मौजूदगी एक दिलचस्प खोज है। क्लास ने प्लाज्मा कणों की तीव्रता और भिन्नता के बारे में भी जानकारी दी है।
आर्बिटर का ‘क्लास’ पता लगाएगा इन धात्विक तत्वों का
आर्बिटर का उपकरण ‘क्लास’ एक्स-आर-एफ तकनीक से चांद की सतह पर विभिन्न धात्विक तत्वों की खोज करेगा। सूर्य से आती एक्स किरणें जब चंद्रमा के सतह पर पड़ती हैं तो वहां मौजूद विभिन्न तत्व इन्हें सोखकर फिर से विकिरण करते हैं। आर्बिटर के उपकरण क्लास के माध्यम से ऐसे विकिरण का अध्ययन कर चंद्रमा की सतह के पदार्थ की रासायनिक संरचना और उसमें मौजूद विभिन्न धात्विक तत्वों की पहचान की जा सकती है। क्लास के जरिए इसरो चांद के सतह पर सोडियम, कैल्शियम, अल्युमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहा का पता लगाएगा।

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