जाहिर है, इससे वे काफी ख्रफा-खफा रहे। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए येडियूरप्पा ने उन्हें मंत्री बनाने का वादा कर दिया। लेकिन यह वादा शीघ्र निभाना आसान नहीं लगता, क्योंकि विधान परिषद के किसी भी सदस्य का कार्यकाल जून 2020 से पहले पूर्ण नहीं हो रहा है। ऐसे में शंकर को अगर उपचुनाव के परिणामों के पश्चात तुरंत मंत्री बनाना हो तो भाजपा के किसी मौजूदा विधान परिशद सदस्य को त्यागपत्र देना होगा।
सदस्यों को मनाने पर काम
सूत्रों के अनुसार भाजपा अपने तीन विधान परिषद सदस्यों को इसके लिए मनाने पर काम कर रही है। उधर, उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सवदी को भी किसी सदन का सदस्य बनाया जाना आवश्यक है और उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाने की बातें चल रही हैं। ऐसी स्थिति में पार्टी के किन्हीं दो विधान परिषद सदस्यों को त्यागपत्र देने के लिए राजी किया जा सकता है।