विपक्ष के 17 विधायकों के इस्तीफे के दम पर सत्ता में आई बीएस येडियूरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 5 दिसम्बर को होने वाले उपचुनावों में अपने अस्तित्व की निर्णायक लड़ाई से पहले बिखरने लगी है।
भाजपा को सत्ता में लाने के लिए जिन विधायकों ने पद से इस्तीफा देकर अयोग्यता का जोखिम उठाया उन्हें अथवा उनके परिजनों को उपचुनावों में टिकट देकर मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा उपकार का बदला चुकाना चाहते हैं लेकिन, स्थानीय स्तर पर भाजपा नेता बगावत पर उतर आए हैं।
कागवाड़ के पूर्व भाजपा विधायक राजू कागे, गोकाक के भाजपा नेता अशोक पुजारी एवं चिक्कबल्लापुर के सांसद बीएन ब”ोगौड़ा के बेटे शरद ब”ोगौड़ा कम से कम तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं।
सरकार में बने रहने के लिए भाजपा को 15 विधानसभा में से कम से कम 7 सीटों पर जीत सुनिश्चित करनी है। लेकिन, सोमवार को पार्टी को उस समय तगड़ा झटका लगा जब राजू कागे ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर दी।
कागे ने विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव से मुलाकात की। बताया जाता है कि गोकाक से पिछले चुनाव में हारे पुजारी भी टिकट देने का आश्वासन मिलने पर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।
भाजपा में भी विपक्ष के बागियों का विरोध
अयोग्य ठहराए गए विपक्षी कांग्रेस और जद-एस के बागी विधायकों को उपचुनाव में टिकट देने का भाजपा में विरोध हो रहा है। पिछले चुनाव में अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस के श्रीमंत पाटिल से करीब 33 हजार मतों से हारने वाले कागे अब अब पाला बदलकर कांग्रेस के टिकट पर भाजपा उम्मीदवार को चुनौती देंगे। अब श्रीमंत पाटिल या उनके किसी परिजन को भाजपा टिकट देने को तैयार है।
पिछले चुनाव में पाटिल ने राजू कागे को &3 हजार मतों से शिकस्त दी थी लेकिन इस बार चुनावी माहौल अलग होगा। हालांकि, राजू कागे के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी के भीतर एक राय नहीं है। बेलगावी के कुछ दिग्गज कांग्रेसी भाजपा नेता के पार्टी में शामिल होने के खिलाफ हैं।
सूत्रों के मुताबिक रमेश जारकीहोली के भाई सतीश जारकीहोली पार्टी की इस पहल से खुश नहीं हैं। सतीश जारकीहोली पहले भी शिवकुमार की बेलगावी के मामलों में कथित दखलंदाजी पर रोष जता चुके हैं।