पार्टी नेतृत्व से पूर्व से भी नाराज माने जाने वाले ईनामदार के अतिरिक्त उनके एक संबंधी नाना साहेब पाटिल कांग्रेस के मुख्य टिकट दावेदार थे और पार्टी ने पाटिल को तरजीह दी। ऐसे में ईनामदार का विद्रोह अब चुनाव के दौरान कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।
भाजपा भी ऐसी ही परेशानी झेल रही है। पूर्व विधायक सुरेश मरिहाल टिकट के प्रमुख दावेदार थे लेकिन पार्टी नेतृत्व से उन्हें निराशा हुई क्योंकि भाजपा ने महंतेश दोड्डवादोर को उम्मीदवार बना दिया। इस बीच शनिवार को मरिहाल के समर्थकों ने कित्तूर बंद करवाया और जिस कारण कुछ दुकानें बंद भी रहीं। इस दौरान मरिहाल के एक समर्थक ने जान देने की भी कोशिश की, जिसे पुलिस ने असफल कर दिया। बाद में स्थिति नियंत्रण में आ गई।
————- कुछ सीटें होती थी दोहरी सदस्यता वाली
पहली और दूसरी विधानासभा में कुछ सीटों पर दोहरे प्रतिनिधित्व की व्यवस्था थी। पहली विधानसभा में ऐसी 19 सीटें थी जो बाद में बढ़कर २९ हो गई। दोहरे प्रतिनिधित्व का मतलब था कि एक सीट से सामान्य वर्ग का उम्मीदवार चुना जाता था जबकि दूसरी सीट अनुसूचित जाति या जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित होती थी। बाद में दोहरे प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के बजाय आबादी के अनुपात में सीटें आरक्षित होने लगी।