कुमारस्वामी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके परिवार के सदस्य के मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता में आना सिद्धरामय्या सहन नहीं कर सके। जद-एस कांग्रेस गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने के पहले ही दिन से सिद्धरामय्या हमारे खिलाफ हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके द्वारा लागू किए गए कार्यक्रमों की लोकप्रियता को सिद्धरामय्या पचा नहीं पाए।
वे हर बार अपने समर्थकों को उकसाकर कांग्रेस में बगावत उत्पन्न कराई। इतना ही नहीं,सरकार गिराने के लिए उनके समर्थक व करीबी नेता ही जिम्मेदार हैं। सिद्धरामय्या के ही मार्गदर्शन में ये विधायक अपनी सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा के साथ जाने के लिए तैयार हुए हैं। 14 माह तक इस झंझट से वे भी तंग आ चुके थे और कांग्रेस के प्रदेश स्तर व राष्ट्रीय स्तर के नेता इस बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सिद्धरामय्या को अनेक बार गठबंधन सरकार को बचा लेने के लिए सलाह व निर्देश दिए लेकिन उनका खेल देखकर प्रदेश के नेता कुछ नहीं कर पाने के कारण हाथ बांधकर बैठे रहे।
कुमारस्वामी ने कहा कि जब वे अमरीका प्रवास पर गए तभी कांग्रेस विधायकों के भाजपा के साथ जाने की पुख्ता जानकारी मिली। लेकिन उन्होंने हर बार सरकार बचाने की कोशिश की। अंतिम संघर्ष के दौरान उन्होंने भी पल्ला झाड़ लिया।
उन्होंने कहा कि मुंबई में जाकर डेरा डालने वाले असंतुष्ट विधायकों में से कुछ लोग लौटने के लिए तैयार थे लेकिन सिद्धरामय्या लौटकर आने वालों को विशेष विमान में बिठाकर दुबारा मुंबई भेजने की व्यवस्था कर रहे थे। अंतत: उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर सरकार बचाने की जिम्मेदारी डाल दी और हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बाद क्या कुछ हुआ इस बारे में सभी जानते हैं।