पार्टी सूत्रों का कहना है कि लंबी माथापच्ची के बाद कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति का फार्मूला खोज लिया है। यह पद प्रदेश में सबसे प्रभावी लिंगायत समुदाय या वोक्कालिगा समुदाय के नेता को दिया जाएगा। इन दोनों वर्गों के प्रभावशाली नेताओं में से एक एमबी पाटिल और डीके शिवकुमार में से किसी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा।
इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे जो विभिन्न तबकों का प्रतिनिधित्व करेंगे। यदि प्रदेश अध्यक्ष का पद लिंगायत समुदाय को मिला, जिसकी हिमायत सिद्धरामय्या भी कर रहे हैं, तो एक कार्यकारी अध्यक्ष का पद वोक्कालिगा के खाते में जाएगा। बाकी पद अल्पसंख्यक, दलित व पिछड़ा वर्ग को मिलेंगे।
सिद्धरामय्या ने एमबी पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने और कृष्णा बैरेगौड़ा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का सुझाव दिया है। हालांकि उन्होंने साथ ही कहा कि वे किसी भी मामले में व्यक्ति विशेष के लिए लामबंदी करना पसंद नहीं करेंगे।
सिद्धरामय्या ने बताया कि सभी को मतभेद दूर कर पार्टी को निचले स्तर से मजबूत करा चाहिए। उनसे हमेशा दूरी रखने वाले नेताओं के साथ एक बार बैठक की जाए। उन्हें समझाना होगा कि पार्टी के लिए सबको एकजुट होना है। विधानसभा चुनाव में उन्होंने अकेले चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया। सामूहिक नेतृत्व की कमी दिखाई दे रही थी।