सिद्धरामय्या ने कहा कि इस फैसले के पीछे केंद्र सरकार का षढयंत्र है। केंद्र सरकार आरक्षण के पक्ष में नहीं रही है और कोर्ट में मामले को कमजोर तरीके से पेश करने के कारण कोर्ट अजा जजा और पिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा व्यवस्था को मौलिक अधिकार नहीं बताया। निर्णय से सामाजिक न्याय व्यवस्था को गहरी चोट पहुंची है। उच्चतम न्यायालय को अपने फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है। इसलिए केंद्र सरकार को यथाशीघ्र मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अंदेशा है कि जिस प्रकार केंद्र सरकार ने नोटबंदी की घोषणा कर सबको चौंका दिया था उसी तर्ज पर एक दिन आरक्षण को खत्म कर सकती है। उन्होंने कहा कि आरक्षण सामाजिक न्याय प्रदान करता है लेकिन आरएसएस सार्वजनिक रूप से आरक्षण को समाप्त करने की बात करता रहा है। भाजपा भी संघ के उसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आरक्षण की बुनियाद को अलग अलग तरीके से कमजोर कर रही है। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव, ईश्वर खंड्रे, पूर्व सांसद वी.एस.उग्रप्पा सहित कई नेता उपस्थित थे।