10 लाख नए किसानों को सहकारी संघों का सदस्य बनाकर उनको न्यूनतम 30 हजार रुपए का कृषि ऋण देने की सरकार ने पहल की है। इसके लिए आवश्यक 3 हजार करोड़ रुपए की अतरिक्त धनराशि में से आधा धन डीसीसी बैंकों की जमा राशि के माध्यम से जुटाया जाएगा और शेष आधा धन राज्य सरकार की तरफ से उपलब्ध करवाने की मुख्यमंत्री से अपील की जाएगी।
मंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों द्वारा सहकारी बैंकों से लिए गए ऋण माफी के कार्य को अगले एक सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा। यदि तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ किसान ऋण माफी से वंचित रह जाते हैं तो उनको चिंता करने की जरूरत नहीं है। सहकारिता विभाग के संयुक्त रजिस्ट्रार को ऐसे किसानों से खुद ही जाकर मिलने और उनकी समस्याओं को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं। जाता जानकारी के अनुसार राज्य में ऐसे करीब 1.36 लाख किसान हैं। काशमपुर ने बताया कि कायक योजना के तहत महिला स्व-सहायता समूहों को 5-5 लाख रुपए का ऋण दिया जा रहा है। अभी 246 लोगों को स्वसहायता समूहों को ऋण दिए गए हैं। आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी।
मंत्री ने आरोप लगाया कि नाबार्ड की नीतियों के कारण किसानों के ऋण माफ करने सहित अनेक योजनाओं में ऋण देने में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। पूर्व में नाबार्ड कुल सहकारी ऋणों का 65 से 70 फीसदी अंशदान देता था, अब उसने इसे घटाकर 40 फीसदी कर दिया है। नाबार्ड की तरफ से दिए जाने वाले ऋण की मात्रा को बढ़ाने तथा सहकारिता विभाग को आयकर विभाग के दायरे से बाहर रखे जाने की केन्द्र सरकार से मांग की जाएगी।