मणिपाल अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार वे जल्द ही यह थेरेपी प्रारंभ करेंगे। मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सत्यनारायण मैसूर ने बताया कि अस्पताल में भर्ती और मृत्यु के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबॉडी कॉकटेल का उपयोग किया जाता है। यह उन लोगों को दिया जा सकता है जिन्हें गंभीर कोविड बीमारी का जोखिम ज्यादा है। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप या सीओपीडी के साथ 55 वर्ष से अधिक आयु के लोग, गुर्दे की बीमारी और मधुमेह वाले लोग इसमें शामिल हैं।
एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी आइवरमेक्टिन, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और फेविपिराविर आदि दवाओं से ज्यादा प्रभावी है। स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ काम करके वायरस को कमजोर बनाते हैं और इसे फेफड़ों में प्रवेश नहीं करने देते हैं। यह म्यूटेंट वायरस को भी शरीर पर हमला करने से रोकता है। इसका दुरुपयोग न हो इसके लिए प्रोटोकॉल विकसित कर रहे हैं।
सकरा वल्र्ड हॉस्पिटल भी दवाएं खरीदने की प्रक्रिया में है और कुछ दिनों में इसके आने की उम्मीद है। अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सचिन कुमार ने बताया कि एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी से मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना करीब 70 फीसदी कम हो जाती है। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि यह थेरेपी महंगी है। हर डोज की कीमत 1.2 लाख रुपए हो सकती है। गंभीर और वेंटिलेटर के मरीजों को इससे फायदा होगा, इसके समर्थन में कोई डेटा नहीं है।